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विज्ञान के संदर्भ में जैन जीवन-शैली उपवास में बहुत जल्दी लाभ होता देखा जाता है। उपवास की अवधि
उपवास २-३ दिन से लगाकर २ मास अथवा इससे भी अधिक दिनों का किया जा सकता है। एक सप्ताह तक का उपवास छोटा उपवास कहलाता है। सप्ताह से अधिक समय के उपवास लम्बे उपवास की श्रेणी में आते हैं। उपवास की अवधि रोगों के अनुसार नहीं, बल्कि रोगियों की हालत के मुताबिक निश्चित की जाती है। रोग का पुराना या नयापन, रोगी के शरीर की शक्ति, रोगी के शरीर में रोग की गहराई तथा रोगी की मानसिक स्थिति आदि जांचकर ही उपवास की अवधि निश्चित की जाती है। यों नये रोगों में छोटे उपवास और पुराने रोगों में लम्बे उपवास अपेक्षित होते हैं। प्राय: एक सप्ताह से कम के उपवास से कोई खास लाभ नहीं होता है। फिर भी प्रारम्भ करने वाले यदि शुरू में ३-४ दिन का उपवास करना चाहें, तो अनुभव प्राप्त करने की दृष्टि से यह ठीक होता है। लम्बे से लम्बा उपवास भी जब विधिवत् किया जाता है तो उससे कभी खतरा पैदा नहीं होता है। अनेक व्यक्तियों ने दो-दो मास के उपवास सफलतापूर्वक किये हैं। उपवास में सावधानी
उपवास में कभी-कभी खतरे और परेशानियां भी पैदा हो सकती है। यह बात सोलह आने ठीक है कि उपवास हर रोग को ठीक कर सकता है, लेकिन हर रोगी को नहीं। जिस रोगी की जीवनी-शक्ति बहुत घट चुकी होती है, उसे उपवास से कोई लाभ नहीं होगा। जैसे टी. बी. के दसरे या तीसरे दर्जे की हालत के रोगी और अन्तिम दर्जे तक पहुंचा मधुमेह का रोगी। इसके अलावा दिल और गुर्दे की भी कई ऐसी पेचीदी बीमारियां होती हैं जिनमें उपवास से लाभ नहीं हो पाता। कुछ रोगियों की ऐसी दशाएं भी होती हैं जहां उपवास एकमात्र इलाज न होकर इलाज का एक अंग होता है।
उपवास का मूल्यांक गलत न हो, इसलिए सावधानी रखनी चाहिएजहां तक हो सके उपवास में खुले बदन धूप और हवा में बैठना चाहिए।
रूस के न्यरोफिजियोलोजिस्ट अकेडेमिसियन पियोत्र अनोखिन का मत है कि अनुभवी की देख-रेख में लम्बे उपवास का प्रयोग पेट के अल्सर, दमा, मधुमेह आदि से मुक्ति पाने के लिए काफी उपयोगी उपाय है। शरीर रचना की दृष्टि से उपवास एक प्रकार से 'शॉक ट्रीटमेंट' जैसा प्रयोग है। उससे नाड़ी मंडलीय क्रिया-कलाप बढ़ जाता है। उपवास के तीसरे दिन से त्वचा में परिवर्तन दीखने लगता है; यह शरीर की प्रतिरक्षात्मक प्रक्रिया की अभिवृद्धि का द्योतक है। यह रोगी के पेथोलॉजिकल कॉम्प्लेक्स पर क्रियाशील होता है। इस दिशा में रूस में अनेक
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