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जैन दर्शन और विज्ञान एक विचित्र प्रकार का ओरा-ये सारे हमारे शरीर के आसपास, चारों ओर एक वलयकार में बन जाते हैं। यह सार मंत्रशक्ति का प्रभाव है।
. मंत्र एक शक्ति है, ऊर्जा है। उस शक्ति के द्वारा अध्यात्म का दरवाजा बन्द भी किया जा सकता है और खोला भी जा सकता है। समय-समय पर मंत्रों के अनेक प्रयोजन सामने आए हैं। मंत्रों से चिकित्सा होती है। मंत्र द्वारा भयंकर बीमारियां नष्ट होती हैं। मंत्र-साधना के द्वारा व्यक्ति अपनी ऊर्जा को इतना प्रबल बना देता है,
आभामण्डल को इतना शक्तिशाली बना देता है, अपने लेश्या के कवच को इतना सूक्ष्म बना देता है कि आने वाले बुरे विचारों के परमाणु उसको प्रभावित नहीं कर पाते, उनके मस्तिष्क में प्रवेश नहीं कर पाते।
____ जब सुषुम्ना का उद्घाटन होता है, तब मनुष्य के लिए अन्तर्मुखी, निष्काम और निर्विकार होने का द्वार खुलता है। प्राण की धारा जब सुषुम्ना में प्रवाहित होने लगती है, तब आध्यात्मिक जागरण प्रारम्भ होता है। अध्यात्म-जागरण का पहला बिन्दु या उस यात्रापथ का पहला चरण है-सुषुम्ना में प्राणधारा का प्रवेश। मंत्र के द्वारा ऐसा किया जा सकता है। मंत्र के द्वारा हम ऐसी सूक्ष्म ध्वनि-तरंगें पैदा करते हैं कि सुषुम्ना के द्वार खुल जाते हैं और व्यक्ति में आध्यात्मिक जागृति की किरण फूट पड़ती है।
अभ्यास १. जैन जीवन-शैली के मुख्य बिंदुओं का उल्लेख करने हुए स्वास्थ्य-विज्ञान के
आधार पर उनकी उपादेयता पर विस्तार से प्रकाश डालें। २. उपवास का जैन साधना-पद्धति में क्या स्थान है? वैज्ञानिकों की दृष्टि में
उसके मूल्य को बताते हुए उसकी समीक्षा करें। ३. उपवास के अतिरिक्त तप के अन्य प्रकारों की हमारे जीवन में क्या
उपयोगिता है? ४. 'शाकाहार बनाम मांसाहार' का वैज्ञानिक आधारों पर विश्लेषण करते
हुए मनुष्य-जाति के लिए कौन-सा अधिक श्रेयस्कर है, उसे सप्रमाण
प्रस्तुत करें।
५. धूम्रपान से क्या-क्या हानि होती है? उससे मुक्त होने के लिए क्या करना
चाहिए? ६. मद्यपान एवं नशीले पदार्थों से व्यक्तिगत एवं समाज के स्तर पर होने वाले
दुष्परिणामों का विस्तृत आकलन करें।
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