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जैन दर्शन और परामनोविज्ञान में भी मृत व्यक्ति के अनुरूप परिवर्तन परिलक्षित हो सकते हैं; लेकिन कुछ कठिनाइयां इस उपकल्पना के साथी भी हैं।
पहली बात तो यह है कि पूर्वजन्म की स्मृतियों का वर्णन करने वाले व्यक्तियों में प्राय: ही यह पाया गया है कि जब उन्हें मृतक के गांव, मकान या स्कूल आदि स्थानों पर ले जाया गया, जो उनको पूर्वजन्म की और नई-नई बातें याद आने लगीं। शुक्ला, प्रकाश, स्वर्णलता, प्रमोद आदि अनेक ऐसे उदाहरण हैं जिनमें कि, जब उन्हें पूर्वजन्म के स्थानों पर ले जाया गया, तो उन्होंने बहुत से लोगों व स्थलों को पहचाना और ऐसी घटनाएं बतलाई जिनके बारे में उन्होंने पहले कुछ नहीं कहा था। स्मृति का भी यह एक सामान्य नियम है कि पूर्व परिचित स्थानों को देखने से हम में उनसे संबंधित अनेक स्मृतियां और उभरने लगती हैं। अस्तु, बालक द्वारा वर्णित बातों को स्मृति के रूप में मानने पर तो इस तरह की घटनाओं का समाधान भी सहज ही है लेकिन यदि हम यह मानें कि बालक ने सूचनाएं उसमें प्रविष्ट किसी मृतात्मा के प्रभाव से दी हैं, तो स्पटष्त: कठिनाई आती है। मृतात्मा के प्रभाव से ही जब बालक सूचनाएं देता है तो स्थान बदलने से क्यों अन्तर आना चाहिए? मृतात्मा को क्या फर्क पड़ता है, इसमें कि बालक किसी अन्य स्थान पर है अथवा मृतक के गांव में?
इसी तरह अनेक वृत्तांतो में ऐसा पाया गया है कि व्यक्ति ने मृतक के जीवन-काल में कोई स्थान या भवन कैसा था इसी का वर्णन किया-न कि उसकी मृत्यु के बाद में हो जाने वाले उसके परिवर्तित रूप का। ऐसा कई बार हुआ है कि बालक को जब उसके पूर्वजन्म के गांव या घर ले जाया गया, तो वह वहां हो जाने वाले परिवर्तनों से चौंक गया। यदि मृतात्मा जो कि व्यक्ति के मृत्यु के बाद भी रही, उसी ने प्रवेश किया, तो उसे तो परिवर्तनों की भी जानकारी रहनी चाहिए।
एक प्रश्न यह भी उपस्थित होता है कि इन वृत्तांतों में वर्णित मृतकों की आत्माओं ने आखिर इन्हीं व्यक्तियों में प्रवेश क्यों किया? इनका ऐसा करने में क्या प्रयोजन रहा होगा? मृतात्मा प्रवेश के जो अन्य दृष्टांत मिलते है उनमें प्राय: कोई न कोई प्रयोजन भी दृष्टिगोचर होता है, जैसे अपने किसी अपूर्ण कार्य या इच्छा की पूर्ति, किसी से बदला लेना आदि। इन वृत्तांतों में ऐसा कोई प्रयोजन नजर नहीं आता।
इस प्रकार जो भी अन्य सामान्य सम्भावना की जा सकती है, उसे पहले ध्यान में रखा जाता है, और उसके आधार पर ही अन्तिम निष्कर्ष निकाला जाता है।
___अब तक जांच की गई अधिकांश में उक्त प्रकार की कोई भी सम्भावना सही नहीं पाई गई। इस आधार पर ही ऐसी घटनाओं को परासामान्य (paranormal) की कोटि में माना गया है।
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