Book Title: Jain Dharm Ki Kahaniya Part 23
Author(s): Haribhai Songadh, Premchand Jain, Rameshchandra Jain
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ जैनधर्म की कहानियाँ भाग-2. हमारे मार्गदर्शक श्री दुलीचंद बरडिया राजनांदगाँव पिता – स्व. फतेलालजी बरडिया श्रीमती स्व. सन्तोषबाई बरडिया पिता --- स्व. सिरेमलजी सिरोहिया सरल स्वभावी बरडिया दम्पत्ति अपने जीवन में वर्षों से सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों से जुड़े हैं। सन् १९९३ में आप लोगों ने ८० साधर्मियों को तीर्थयात्रा कराने का पुण्य अर्जित किया है। इस अवसर पर स्वामी वात्सल्य कराकर और जीवराज खमाकर शेष जीवन धर्मसाधना में बिताने का मन बनाया है। विशेष -आध्यात्मिक सत्पुरुष पूज्य श्री कानजीस्वामी के दर्शन और) सत्संग का लाभ लिया है। परिवार पुत्रवधु पुत्री दामाद ललित लीला चन्द्रकला गौतमचंद बोथरा, स्व. निर्मल प्रभा भिलाई अनिल शशिकला अरुणकुमार पालावत, सुधा जयपुर पुत्र मंजु सुनील

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 84