Book Title: Jain Dharm Ki Kahaniya Part 23
Author(s): Haribhai Songadh, Premchand Jain, Rameshchandra Jain
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation

View full book text
Previous | Next

Page 53
________________ जैनधर्म की कहानियाँ भाग-23 51 हाथी नहीं लौटाने से दोनों राजाओं में युद्ध की तैयारी होने लगी। युद्ध के लिये प्रस्थान करते समय भी धर्मात्मा पद्मनाभ अपनी आत्मसाधना को नहीं भूले थे, किचित् मानकषाय के कारण युद्ध करने जा रहे थे, तथापि कषाय रहित आत्मशांति भी साथ थी। राजा पृथ्वीपाल भी अपनी सेना लेकर पद्मनाभ से युद्ध करने चल पड़ा। दोनों राजाओं की सेनायें युद्ध के लिये आमने-सामने आ गयीं। युद्ध प्रारम्भ हो गया। C . MuTUN COM G अचानक पृथ्वीपाल के सेनापति चन्द्रशेखर ने पद्मनाभ के सेनापति भीमरथ को मस्तक में बाण मारकर मूर्च्छित कर दिया। भीमरथ की मूर्छा दूर होने पर उसने घोर पराक्रम द्वारा सेनापति चन्द्रशेखर को बाणों से भेध डाला, जिससे उसकी तत्काल मृत्यु हो गयी, तुरन्त ही पृथ्वीपाल का युवराज धर्मपाल युद्ध करने आ गया। वीर युवराज सुवर्णनाभ ने उसे युक्तिपूर्वक जीवित ही बंदी बना लिया तब पृथ्वीपाल क्रोधित होकर स्वयं युद्ध करने तैयार हुआ। राजा पद्मनाभ ने भी हाथी

Loading...

Page Navigation
1 ... 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84