________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandie प्रज्ञप्तिः | ११शतके उद्देशः११ // 97 | रणमां का तेम अहीं जाणवं, यावत ते सुदर्शन शेठ त्रण प्रकारनी पर्युपासना वडे पर्युपासे छे. त्यार पछी श्रमण भगवंत महायाख्या-15वीरे ते सुदर्शन शेठने अने ते मोटामा मोटी सभाने धर्मकथा कही, यावत् ते सुदर्शन शेठ आराधक थाय छे. त्यार पछी सुदर्शन |शेठ श्रमण भगवंत महावीर पासेथी धर्म सांभळी अने अवधारी हर्षित अने संतुष्ट थइ उभा थाय छे, उभा थइने श्रमण भगवंत महा-४ // 974|| वीरने त्रण चार प्रदक्षिणा करी, यावद् नमस्कार करी तेणे आ प्रमाणे पूछ्यु-[प्र.] हे भगवन् ! काल केटला प्रकारनो कझो छ / [उ०] हे सुदर्शन ! काल चार प्रकारनो को छे ते आ प्रमाणे-१ प्रमाणकाल 2 यथायुनिर्वतकाल, 3 मरणकाल, अने 4 अद्धाकाल. [प्र०] हे भगवन् ! प्रमाणकाल केटला प्रकारे छे? [उ०] प्रमाणकाल वे प्रकारनो कयो छे ते आ प्रमाणे-दिवसप्रमाणकाल | अने रात्रीपमाणकाल, अर्थात चार पौरुषीना-प्रहरन दिवस थाय छ, अने चार पौरुषीनी रात्री थाय छे. अने उत्कृष्ट-मोटामा मोटी साडा चार मुहूर्तनी पौरुषी दिवसनी, अने रात्रीनी थाय छे. तथा जघन्य-न्हानामा हानी पौरुषी दिवस अने रात्रिनी त्रण मुहर्तनी थाय छे. // 424 // जदा णं भंते! उक्कोमिया अपंचममुहत्ता दिवमस्स वा राईए वा पोरिसी भवति तदा ण कति | भागमुहुत्तभागेणं परिहायमाणी परि 2 जहनिया तिमुहुत्ता दिवमस्स वा राईए वा पोरिसी भवति !, जदा णं जहन्निया तिमुहुत्ता दिवमस्म वा राईण वा पोरिसी भवति तदा णं कति भागमुहुत्तभागेणं परिवड्डमाणी 2 उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवह 1, सुदंसणा! जदाण उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्म वाराईएवा पोरिसी भवह तदा ण बावीससयभागमुहुत्तभागेण परिहायमाणी परि०२ जहनिया तिमु. NAGAR For Private and Personal Use Only