Book Title: Vyakhyapragnapti Sutra Part 04
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 224
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir बाया // 1.59 // RECENSUS [प्र०] हे भगवन् ! असंख्याता परमाणुपुनलो एकठा मळे, अने पछी तेनुं शुं थाय ? [उ.] हे मौमत ! तेनो असंख्यातप्रदेशिक ||१२शतके स्कन्ध थाय. जो तेना विभाग करीए तो वे, यावत् दस, संख्याता के असंख्याता विभाग थाय. जो वे विभाग करवामां आवे तो उद्देश एक तरफ एक परमाणुपुगल अने एक तरफ असंख्यातादेशिक स्कंध होय . यावद्-अथवा एक तरफ दशप्रदेशिक स्कन्ध अने एक 1055 // तरफ असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. अथवा एक तरफ संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध | होम छे. अथवा चे असंख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय . जो तेना त्रण विभाग करवामां आवे तो एक तरफ वे परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय . अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल, एक तरफ द्विप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ | असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. यावद्-अथवा एक तरफ परमाणुपुद्गल, एक तरफ दशप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. अथवा एक तरफ ए परमाणु, अने एक तरफ बे असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय . अथवा एक तरफ द्विप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ चे असंख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. ए प्रमाणे यावद्--अथवा एक तरफ संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ वे असंख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय के. अथवा त्रण असंख्यातप्रदेशात्मक स्कन्धो होय . जो तेना चार। भाग करवामां आवे तो एक तरफ त्रण परमाणुओ अने एक तरफ एक असंख्यातप्रदेशात्मक स्कन्ध होय छे. ए प्रमाणे चतुष्कसंयोग, यावद् दशकसंयोग जाणवो. अने ए सर्वे संख्यातप्रदेशिकनी पेठे जाणवू, परन्तु एक 'असंख्यात' शब्द अधिक कहेवो. यावद्-अथवा दश असंख्यातादेशिक स्कन्धो होय छे. जो संख्याता विभाग करवामां आवे तो एक तरफ संख्याता परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ असंख्यातप्रदेशात्मक स्कन्ध होय छे. अथवा एक तरफ संख्याता द्विप्रदेशिक स्कन्धो अने एक तरफ असंख्यात For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238