________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir व्याख्या १९श्व // 1.04 // + (अमुक जातना पात्रो, लोटा अथवा कचोला), आठ पलंग, आठ प्रतिशय्या (ढोयणी प्रमुख नानी बीजी भय्याओ), आठ इंसासनो, आठ क्रौंचासनो,ए प्रमाणे गरुडासनो,उंचा आसनो,नीचा आसनोदीर्घासनो, मद्रासनो,पक्षासनो,मकरासनो,आठ पगासनो,आठ दिक्स्व. स्तिकासनो,आठ तेलना डाबडा-इत्यादिबधुं राजप्रश्नीय सूत्रमा कह्या प्रमाणे कडेवू,यावद् आठ सरसवना डाबडा, आठ कुब्ज दासीओ उद्देश:११ इत्यादि बधु औपपातिक सूत्रमा कह्या प्रमाणे कहेवू, यावत् आठ पारसिक देशनी दासोओ; आठ छत्री, आठ छत्र धरनारी दासीओ. IN9.0 // आठ चायरो, आठ चामर धरनारी दासीओ, आठ पंखा, आठ पंखा वीं जनारी दासीओ, आठ करोटिका-तांबूलना करंडिया-ने धारण करनारी दासीओ, आठ क्षीरधात्रीओ ( दूध पानारी धावो), यावद् आठ अंकयात्रीओ (खोळामा रमाडनारी धावो) आठ अंगमर्मिकाओ,-शरीर- अल्प मर्दन करनारी दासीओ आठ उन्मर्दिकाओ ( अधिक मर्दन करनारी दासीओ), आठ स्नान करावनारी दासीओ, आठ अलंकार पहेरावनारीओ, आठ चंदन घसनारीओ, आठ तांबूल चूर्ण पोसनारीओ, आठ कोष्ठागारनुं रक्षण करनारी, आठ परिहास करनारी, आठ सभामा पासे रहेनारी, आठ नाटक करनारीओ, आठ कौटुंबिकीओ-साथे जनारी दासीओ,आठ रसोइ करनारी, आठ भांडागारनु रक्षण करनारी, आठ मालपो, आठ पुष्प धारण करनारी, आठ पाणी लावनारी आठ बलि करनारी, आठ पथारी तैयार करनारी, आठ अंदरनी अने आठ बहारनी बहारनी प्रतिहारीओ, आठ माला करनारीओ, आठ पेषण करनारी, अने ए शिवाय बीजं घणुं हिरण्य, सुवर्ण, कांसं, वस्त्र तथा विपुल धन, कनक, यावत् विद्यमान सारभूत धन आप्यु. जे सात पेढी सुधी इच्छापूर्वक आपवा अने भोगववाने परिपूर्ण हतुं. त्यार बाद ते महाबल कुमार दरेक खीने एक एक हिरण्यकोटि, एक एक सुवर्णकोटि अने मुकुटोमा उत्तम एक एक मुकुट आपे छे. ए प्रमाणे पूर्वोक्त सर्व वस्तुओ एक एक आपे के, यावद एक एक 45- + 4 + + + For Private and Personal Use Only