Book Title: Vyakhyapragnapti Sutra Part 04
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: 

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Page 222
________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra Acharya Sh Kalassagarsun Gyarmandie उदेश 1057 // अने एक संख्यातादेशिक स्कन्ध होय छे. ए प्रमाणे याबद्-अथवा एक तरफ वे परमाणुओ, एक तरफ दशप्रदेशिक स्कन्ध अने १२शतके एक तरफ संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. अथवा एक तरफ वे परमाणुओ अने एक तरफ वे संख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. अथवा एक तरफ एक परमाणुगल, एक द्विप्रादेशिक स्कन्ध अने व संख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय छ. ए प्रमाणे यावद् अथवा 41050 / एक तरफ एक परमाणुपुद्गल, एक दशप्रदेशिक स्कन्ध अने वे संख्यातादेशिक स्कन्धो होय छे. अथवा एक परमाणुपुद्गल अने त्रण संख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. अथवा एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध अने त्रण संख्यातादेशिक स्कन्धो होय छे. ए प्रमाणे यावद्-अथवा एक तरफ एक दश प्रदेशिक स्कन्ध अन एक तरफ त्रण मंख्यानप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. अथवा चार संख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय छे. ए प्रमाणे ए क्रमथी पंचसंयोग पण कडेलो; यावत् नव संयोग मुधी कहे. तेना दश विभाग करवामां आवे तो एक तरफ नत्र परमाणुपुद्रलो, एक तरफ एक संख्यातादेशिक स्कन्ध होय छे. अथवा एक तरफ आठ परमाणु पुगलो, एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कंध अने एक तरफ संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय . अथवा एक तरफ आठ परमाणुपद्गलो, एक तरफ एक द्विप्रदेशिक म्कन्ध अने एक तरफ एक संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध होय छे. ए क्रमवढे एक एकनी संख्या वधारवी, यावत् -अथवा एक दशप्रदेशिक स्कन्ध अने एक तरफ नव संख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय जे, अथवा दश संख्यातप्रदेशिक स्कन्धो होय . जो तेना संख्यात भागो करवामां आवे तो संख्याता परमाणुपुद्रलो, थाय छे. 4aa असंखेज्जा भंते ! परमाणुपोग्गला पगयओ साहणंति एगयओ साहषिणता किं भवति, गोयमा! असं खेजपएमिण खंधे भवति, से भिन्जमाणे दुहावि जाव दसहावि संखेजहावि असंखेजहावि कज्जा, दुहा कब्रमाणे For Private and Personal Use Only

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