Book Title: Vyakhyapragnapti Sutra Part 04
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: 

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Page 165
________________ Shri Maa Jan Aradhana Kendra Acharya Se Klasagarsun Gyarmandir व्याख्या प्रज्ञप्तिः // 1000 | उदेश११ // 1000 // ल्लियाण अढण्हं रायवरकन्नाणं एगदिवसेणं पाणिं गिहाविसु। त्यार पछी वीजा कोइ एक दिवसे शुभ तिथि, करण, दिनस नक्षत्र अने मुहूर्तमा जेणे स्नान, बलिकर्म-पूजा, रक्षा आदि कौतुक अने मंगलरूप प्रायश्चित कयु के एत्रा महाबल कुमारने सर्व अलंकारथी विभूषित करी अने सधवा स्त्रीओए करेला अभ्यंजन-विलेपन, स्नान, गीत, वादित्र, मंडन, आठ अंगमां तिलक अने कंकण पहेरावी मंगल अने अशीर्वादपूर्वक उत्तम रथा वगेरे कौतुकरूप अने सरसव वगेरे मंगलरूप उपचार बडे शांतिकर्म करी, योग्य, समानत्वचावाळी, समान उमरवाळी, समान लावण्य, रूप, यौवन अने गुणथी युक्त, विनीत, जेणे कौतुक अने मंगलरूप प्रायश्चित करेलु के एवी समान राजकुलथी आणेली एवी, उत्तम, राजानी आठ श्रेष्ठ कन्याओर्नु एक दिवसे पाणिग्रहण कराव्यु. तएणं तस्स महाबलस्स कुमारस्स अम्मापियरो अयमेयारूवं पीइदाणं दलयंतित -अट्ठ हिरन्नकोडीओ अह सुक्न्नकोडीओ अट्ट मउडे मउडप्पवरे अट्ट कुंडल. जुए कुंडलजुयप्पवरे अट्ट हारे हारप्पवरे अट्ट अद्धहारे अद्धहारप्पवरे अट्ट एगावलीओ एगावलिप्पवराओ एवं मुत्तावलीओ एवं कणगावलीओ एवं रयणावलीओ अट्ट कडगजोए कडगजोयप्पबरे एवं तुडियजोए अट्ठ खोमजुयलाई बोमजुपलप्पबराई एवं बडगजुयलाई एवं पजुयलाई एवं दुगुल्लजुयलाई अट्ट सिरीओ अह हिरीओ एवं घिईओ कित्तीओ बुद्धीओ लच्छीओ अट्ट नंदाई अट्ठ भद्दाइं अg तले तलप्पवरे मवरपणामए णियगवरभवणकेऊ अट्ठ भए प्रयापदरे अट्ट वये वयप्पवरे दसगोसाहस्सिएणं वएणं अट्ठ नाडगाइं नाडगप्पवराई बत्तीसबदेणं नाडएणं अट्ठ आसे आसप्पवरे सब्बरयणामए सिरिघरपडिरूवए अह For Private and Personal Use Only

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