Book Title: Vyakhyapragnapti Sutra Part 04
Author(s): Sudharmaswami,
Publisher:
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________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmande रनो धूया सयाणीयस्स रन्नो भगिणी उदायणस्स रन्नो पिउच्छा मिगावतीए देवीए नणंदा वेसालीसावयाणं अरभाल्या- ताणं पुम्वसिज्जायरी जयंती नाम समणोवासिया होत्था सुकुमाल जाव सुरूवा अभिगय जाब वि० (सूत्रं ४४१)मा १२शतके प्रशतिः aai उद्देशार | ते काले, ते समये कौशांबी नामे नगरी हती. वर्णन. चन्द्रावतरण चैत्य हतुं. वर्णन. ते कौशांबी नगरीमां सहस्त्रानीक राजानो|8 11031 // 1031 // | पौत्र, शतानीक राजानो पुत्र, चेटक राजानी पुत्रीनो पुत्र, मृगावती देवीनो पुत्र, अने जयंती श्रमणोपासिकानो भत्रीजो उदायन नामे राजा हतो. वर्णन. ते कौशांची नगरीमां सहस्रानीक राजाना पुत्रनी पत्नी, शतानीक राजानी पत्नी, चेटक राजानी पुत्री, उदायन | राजानी माता अने जयंती श्रमणोपासिकानी भोजाइ मृगावती नामे देवी हती. सुकुमाल हाथपगवाळी-इत्यादि वर्णन जाणवू, यावत् & सुरूपवाळी अने श्रमणोपासिका हती. वळी ते कौशांबी नगरीमा जयंती नामे श्रमणोपासिका हती, जे सहस्रानीक राजानी पुत्री, शतानीक राजानी भगिनी, उदायन राजानी कोइ, मृगावती देवीनी नणंद अने श्रमण भगवंत महावीरना साधुओनी प्रथम शय्यातर | (वसति आपनार ) हती. ते सुकमाल, यावत् सुरूपा अने जीवाजीवने जाणनारी यावद् विहरती हती.॥ 441 // तेणं कालणं तेणं समएणसामी समोसढे जाव परिसा पज्जुबासह। तए णं से उदायणे राया इमीसे कहाए लखेट्ट समाणे हद्वेतुढे कोडंपिययपुरिसे सहावेह को०२ एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! कोसंविं नगरि सम्भि| तरवाहिरियं एवं जहा कूणिओ तहेव सम्वं जाव पज्जुवासए। तए णंसा जयंती ममणोवासिया इमीसे कहाए लट्ठा समाणी हहतुहा जेणेव मियावती देवी तेणेव उवा०२ मियावती देवीं एवं बयासी-एवं जहानवमसए उसभदत्तो जाव भविस्सह / तए णं मा मियावती देवी जयंतीए समणोवासियाए जहा देवाणंदा जाव पडिसुणेति / तए णं S RSS EURS For Private and Personal Use Only

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