Book Title: Vyakhyapragnapti Sutra Part 04
Author(s): Sudharmaswami,
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir प्रति 13 CREEN १२वतके उद्देशार १.३सा सा मियावती देवी कोडुचियपुरिसे सहावेइ को०२ एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! लहुकरणजुत्तजोइयजाव धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवट्ठबह जाव उवट्ठति जाव पचप्पिणंति तए ण सा मियावती देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धिं व्हाया कयवलिकम्मा जाप मरीरा बहहिं खुजाहिं जाव अंतेउराओ निग्गच्छति अ०२ जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उ०१ जाव रूढा / तए णं सा मियावती देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धिं धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढा समाणी नियगपरियालगा जहा उसभदत्तो जाव धम्मियाओ जाणप्पवराओ पचोकहह / तए णं सा मियावती देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धिं बहूहिँ खुजाहिं जहा देवागंदा जाव बं० नम० उदायणं रायं पुरओ कहु उितिया चेव जाव पज्जुवासइ / तए ण ममणे भगवं महा० उदा. यणस्स रन्नो मियावईए देवीए जयंतीए समणोवासियाए तीसे य महतिमहा. जाव धम्म० परिसा पडिगया उदा यणे पडिगए मियावती देवीवि पडिगया (सूत्रं 442) / PI ते काले, ते समये महावीर स्वामी समवसर्या, यावत् पर्षद पर्युपासना करे छे. त्यार बाद ते उदायन राजा आ (श्रमण भगा। | वंत महावीर पधायांनी) वात सांभळी हृष्ट तुष्ट थयो, अने तेणे कौटुंचिक पुरुषोने बोलावी आ प्रमाणे कयु-'हे देवानुप्रियो ! शीघ्रज &ाकौशांबी नगरीने बहार अने अंदर साफ करावो'-इत्यादि बधुं कूणिक राजानी पेठे कहेवू', यावत्-ते पर्युपासना करे छे, त्यार वाद। (श्रमण भगवंत महावीर पधार्यानी) आ वात सांभळी ते जयंती श्रमणोपासिका हृष्ट अने तुष्ट थइ, अने ज्या मृगावती देवी छे त्यां आवी तेणे मृगावती देवीने आ प्रमाणे का-ए प्रमाणे नवम शतकमां ऋषभदचना प्रकरणमां कह्या प्रमाणे जाणवू, यावत् [ श्रमण जामा For Private and Personal Use Only

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