Book Title: Vyakhyapragnapti Sutra Part 04
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: 

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Page 228
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir पोग्गलपरियहे पण्णत्ते!, गोयमा! सत्तविहे पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते, तंजहा-ओरालियपो. वेउब्वियपोग्गलप-है। HTTरियहे जाब आणापाणुपोग्गलपरियहे एवं जाव वेमाणियाणं / एगमेगस्म णं मंते ! नेरहयस्स केवइया ओरालि- १२शतक Bायपोग्गलपरिया अतीया ?, अपंता, केवइया पुरेक्खडा', कस्सह अस्थि कस्मह नस्थि जस्सत्थि जहन्नेणं पको // 1-40 ताउद्देश 1.30 वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्ञा वा अणता बा। एगमेगस्स णं भंते ! असुरकुमारस्स केव. तिया ओरालियपोग्गला, एवं चेव, एवं जाव वेमाणियस्साएगमेगस्सगं भंते नेहयस्स केवतिया बेउब्धियपोग्गल परियडा अतीया?, अणंता, एवं जहेब ओरालियपोग्गलपरियहा तहेव बेडम्बियपोग्गलपरियहावि भाणियव्या, एवं जाव वेमाणियस्स आणापाणुपोग्गलपरियडा, एते एगत्तिया मत्त दंडगा भवंति। नेरहयाणं भंते ! केवतिया ओ० पोग्गल परियडा अतीता', गोयमा! अनंता, केवड्या पुरेक्खडा?, अणंता, एवं जाव वेमा. णियाण, एवं वेउब्बियपोग्गलपरियवावि एवं जाव आणापाणुपोग्गलपरियहा वेमाणियाणं, एवं एए पोहत्तिया | सत्त चउव्वीसतिदंडगा / / हे भगवन् ! ए परमाणुपुद्गलोना संयोग अने भेदना संबंधथी अनन्तानत पुगपरिवतों जाणवा योग्य ले माटे कसा ? [[उ.] हा, गौतम ! संयोग अने मेदना योगथी ए परमाणुपुद्रलोना अनंतानंत पुद्गलपरिवों जाणवा योग्य छ माटे का छे. [प्र०] हे भगवन् ! पुदलपरिवर्तो केटला प्रकारना कहा छ? [30] हे गौतम ! पुद्रलपरिवर्तो सात प्रकारना कसा छे, ते आ प्रमाणे-१|| 4 औदारिकपुद्गलपरिवर्त, 2 वैक्रियपुगलपरिवर्त, 3 तैजसपुद्गलपरिवर्त, 4 कार्मणपुद्गलपरिवर्त, 5 मनपुदलपरिवर्त, 6 वचनपुद्रलपरिवर्त | For Private and Personal Use Only

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