Book Title: Vyakhyapragnapti Sutra Part 04
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: 

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Page 229
________________ Shri Mahaven Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagersun Gyarmandie व्याख्याप्राप्ति // 1.6 / १२शतके उका 10490 अने 7 आनप्राणपुद्गलपवर्त. [प्र०] हे भगवम् ! नैरयिकोने केटला प्रकारका पुद्गलपरिवतों कया छ ? [उ०] हे गौतम ! तेओने | सात पुगलपरिवतों क्या छे, ते आ प्रयाणे-१ औदारिकपुद्रलपरिवर्त, रक्रियपुद्गलपरिचत, यावद् 7 आनप्राणपुद्गलपरिवर्त. ए | प्रमाणे वावद-चैमानिको सुधी जाणवु [प्र.) हे भगवन् ! एक एक नैरयिकने कंटला औदारिकपुद्गलपरिवों अतीत-थया छ ? [उ०] हे मौतम ! अनन्त थया छे. [प्र.] कटला थनारा छे ? [उ०] कोइने थवाना होय छे अने कोइने नयी; जेने थवाना है | तेने जघन्यथी एक, चे के त्रण थाना छे अने उत्कृष्टथी संख्याता, असंख्याता के अनन्ता थवाना होय छे [प्र.] हे भगवन् ! एक एक अमरकुमारने केटला औदारिकपुद्गलपरिवों यया छ ? [30] ए प्रमाणे-उपर कक्षा प्रमाणे जाणवु, ए प्रमाणे यावद् | वैमानिक सुधी जाणवु [प्र.] हे भगवन् ! एक एक नैरयिकने केटला वक्रियपुद्गळपरिवर्तो धया छ। [10] अनन्ता थया छे. ए | प्रमाणे जेम औदारिकपुद्गलपरिवर्त संबन्धे का तेम कियपुद्गलपरावर्त संबन्धे पण जाणवु यावद् वैमानिक सुधी कहे. ए प्रमाणे यावद् आनाणपुद्गलपरिवर्त संवन्धे पण जाणवु . ए प्रमाण एक एकने आश्रयी सात दंडको थाय छे. (प्र०) हे भगवन् ! नैरयिकोने केटला औदारिकपुद्गलपरिवर्तो थया छ ? [उ.] हे गौतम ! अनन्ता थया छे. (प्र०] केटला औदारिकपुद्गलपरिवतों थवाना छ ? [उ.] अनन्ता थवाना छे. ए प्रमाणे यावद् वैमानिको मुधी जाणवू. ए रीते वैक्रियपुद्गलपरिवर्ती, यावद् आनप्राणपुद्गलपरिवतों संबन्धे पण यावत् वैमानिको सुधी जाणवू एम (मात पुद्गलपरिवर्त संबन्धे ) बहुवचनने आश्रयी सात दंडको (नैरयिकादि) चोवीश दंडके कहेवा. . एगमेगस्स णं भत्ते! नेरदयस्म नेर० केवतिया ओरालियपोग्गलपरिया अतीता?, नस्थि एकोवि, SEARCINE For Private and Personal Use Only

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