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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रघुवंश 317 वैसे ही राजा दिलीप और रानी सुदक्षिणा भी उन दोनों के समान तेजस्वी पुत्र को पाकर बड़े प्रसन्न हुए। उपान्तसंमीलित लोचनो नृपश्चिरात्सुत स्पर्शरसज्ञतां ययौ । 3 / 26 उस समय आँख बंद करके राजा दिलीप बहुत देर तक अपने पुत्र के स्पर्श के आनन्द लेते ही रह जाते थे । निसर्ग संस्कार विनीत इत्यसौ नृपेण चक्रे युवराजशब्द भाक् । 3 / 35 जब राजा दिलीप ने यह देखा कि शिक्षा आदि संस्कारों से रघु नम्र हो गए हैं, तो उन्होंने रघु को युवराज बना दिया। नृपस्य नातिप्रमनाः सदोगृहं सुदक्षिणासूनुरपि न्यवर्तत । 3/67 सुदक्षिणा के पुत्र रघु भी अपने पिता राजा दिलीप की सभा में लौट आए। त्याजितै: फल मुह्वातैर्भग्नैश्च बहुधा नृपैः । 4/33 राजा रघु ने किसी राजा से कर लेकर उसे छोड़ दिया, किसी का राज्य उजाड़ फेंका और किसी को लड़ाई में ध्वस्त कर डाला। गृहीतप्रति मुक्तस्य स धर्मविजयी नृपः । 4/ 43 राजा रघु तो धर्मयुद्ध करते थे इसलिए उन्होंने राजा को बंदी तो बना लिया, पर अधीनता स्वीकार कर लेने पर छोड़ भी दिया। गुरुप्रदेयाधिक निःस्पृहोऽर्थी नृपोऽर्थिकामादधिक प्रदश्च । 5/31 कौत्स इतने संतोषी थे कि आवश्यकता से अधिक लेने को उद्यत नहीं थे तो राजा माँग से अधिक धन देने पर तुले हुए थे । काकुत्स्थमालोकयतां नृपाणां मनो बभूवेन्दु मती निराशम् । 6 / 2 जब दूसरे राजाओं ने अज को देखा तो उन्होंने इन्दुमती को पाने की सब आशाएँ छोड़ दीं। ततो नृपाणां श्रुतवृत्तवंशा पुंवत्प्रगल्भा प्रतिहाररक्षी । 6 /20 इसी बीच पुरुषों के समान ठीक और राजाओं के वंशों की कथा जानने वाली रनिवास की प्रतिहारी सुनंदा । कामं नृपाः सनतु सहसशोऽन्यै राजन्वतीमाहुरनेन भूमिम् । 6 / 22 यद्यपि संसार में सहस्रों राजा हैं किन्तु पृथ्वी इन्हीं के रहने से राजा वाली कहलाती है। ततः परं दुष्प्रसहं द्विषद्भिर्नृपं नियुक्ता प्रतिहार भूमौ । 6 / 31 For Private And Personal Use Only
SR No.020426
Book TitleKalidas Paryay Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTribhuvannath Shukl
PublisherPratibha Prakashan
Publication Year2008
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size18 MB
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