Book Title: Jay Vardhaman
Author(s): Ramkumar Varma
Publisher: Bharatiya Sahitya Prakashan

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Page 16
________________ कन्छ देश में विजय नाम का एक सेठ रहता था। वह न पावक पा। उसने प्रतिमा को यो किकृष्ण पक्ष में वह किसी प्रकार का भोग नहीं करेगा। उसका विवाह विजया नाम की सुन्दरी से हुमा। स्वयं विजया ने दूसरा संकल्प लिया था कि वह शुक्ल पक्ष में मोगों से दूर रहेगी। इस प्रकार उनके सम्पत्य जीवन में विचित्र समस्या उत्पन्न हुई। किन्तु दोनों ने अपना व्रत माजीवन निमाया और उन्हें श्रेष्ठ भावक को पदवी प्राप्त हुई। महावीर वर्धमान को स्तुति और महिमा के मुझे अनेक ग्रन्थ प्राप्त हुए । उनके अतवरण मे पृथ्वी पाप के बोझ से हलको हुई और मानव जाति के कप्टों का निवारण हुआ । उनके जीवनगत आदर्शों से मोक्ष का पथ प्रशस्त हुआ। 'महावीर गग माला' में वर्धमान महावीर का जीवन-वृत स्तुति सहित ३६ रागों में वर्णित है। जैन कवि मुनिपान और समय सुन्दर ने वर्धमान महावीर के पारण के मम्बन्ध में एक सुन्दर कथा कही है : चातुर्मासिक समाप्ति पर श्री महावीर स्वामी का पारण कराने के लिए सेठ जोरण प्रातः से संध्या तक प्रतीक्षा करता रहा । स्वामी महावीर किसी दूसरे सेठ पूरण के यहां पारण कर लेते हैं, फिर भी जोरण के चित्त में किसी प्रकार का कलुष उत्पन्न नहीं होता। अन्त में स्वामी महावीर उसे ही सर्वश्रेष्ठ श्रावक घोषित करते हैं। वर्धमान महावीर के सम्बन्ध में मेरे पास इतनी प्रचुर सामग्री है कि उसके आधार पर वर्धमान महावीर के चरित्र और जीवन-वृत्त पर एक बृहत् ग्रन्थ लिखा जा सकता है किन्तु नाटकीय विधा रुचिकर होने से मैने वर्धमान महावीर के कुछ महत्त्वपूर्ण प्रसंगों पर एक नाटक ही लिख दिया है । तुमने वाल्यकाल में ही स्वामी महावीर के प्रति मेरे मन में क्षद्धा का बीज वपन कर दिया था, इसलिए इस नाटक को तुम्हें ही समर्पित कर रहा हूँ। आशा है, तुम अपने बाल्यकाल के इस मित्र की यह पवित्र भेंट स्वीकार करोगे। तुम्हारा हीरामकुमार वर्मा १२

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