Book Title: Jay Vardhaman
Author(s): Ramkumar Varma
Publisher: Bharatiya Sahitya Prakashan

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Page 99
________________ [ स्थान : मोराक ग्राम समय : संध्या काल स्थिति : एक वट वृक्ष की छाया । स्थान सुनसान है। चारों ओर शान्ति का वातावरण। आस-पास लता-गुल्म हैं। एक समभूमि पर महावीर वर्धमान संन्यासी के वेश में पद्मासन लगाये बैठे हैं। पास ही उनके भाई नन्दिवर्धन खड़े हैं।] I नन्दिवर्धन : तो तुमने संन्यास ले लिया ! तुम्हें खोजते खोजने यहां पहुंचा हूँ । जहाँ-जहाँ पता लगता था, वही जाता था किन्तु ज्ञात होना था कि तुम वहाँ से भी अन्यत्र चले गये । कमरि ग्राम गया, वहाँ तुम नही थे । एक ग्वाले ने तुम्हें बहुत कष्ट दिया। वह तुम्हें अपने बैल सोप गया, जब लौटा तो उसके चैन तुम्हारे पास नहीं थे । वे चरते हुए अन्यत्र चले गये और तुम अपने ध्यान में ही लीन थे। उसने जब पूछा तो तुमने कुछ उत्तर ही नहीं दिया। दूसरे दिन प्रातःकाल वे बैल लौट कर तुम्हारे पास आकर बैठ गये। जब उस ग्वाले ने अपने बैलों को तुम्हारे पास देखा तो उसे क्रोध आया कि बैलों का पता जानते हुए भी तुमने उसे व्यर्थ भटकाया। उसने तुम पर प्रहार किया और तुम बैठे रहे । उसके बाद तुम कोल्लाग ग्राम चले आये। जब में चुपचाप

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