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दूसरा अंक
को कुचलता हुआ चला जाय और कुमार वर्धमान की जय का घोष हो ? वर्धमान के जन्म से राज्य की सम्पदाओं की वृद्धि हुई और अब निरीह जनता की मृत्यु की वृद्धि हो !
(गिरिसेन का शीघ्रता से प्रवेश) गिरिसेन : महाराज की जय हो ! धन्य हैं कुमार वर्धमान ! उन्होंने इन्द्रगज
को वश में कर लिया। सिद्धार्थ : (कुतूहल से) वश में कर लिया ? कैसे ? किस तरह ? कुमार
वर्धमान ने उस शक्तिशाली इन्द्रगज को ? गिरिसेन : अब सम्राट् ! यह तो मैं नहीं कह सकता। मैंने इतना ही सुना कि
हमारे कुमार वर्धमान ने इन्द्रगज को वश में कर लिया और उसे
गजाध्यक्ष को सौंप कर गज-शाला में भेज दिया। सिद्धार्थ : (प्रसन्न होकर) गज-शाला में भेज दिया ! साधु ! साधु !!
(सोचते हुए) किन्तु वे वहां कैसे पहुंचे ? वे तो लक्ष्य-बेध का अभ्यास कर रहे थे । कुमार वर्धमान ! इन्द्रगज को वश में कर लिया !... किस भांति · · · उन्हें कोई चोट तो नहीं आई. . . ? (गिरिसेन से)
शीघ्र पूरी सूचना प्राप्त करो। गिरिसेन : जो आज्ञा। (प्रस्थान) सिद्धार्थ : (टहलते हुए सोचते हैं) इन्द्रगज तो भयानक होगा और मुक्त हुआ
गज किसी के भी प्राण ले सकता है। उसे कुमार वर्धमान ने .. वर्धमान ने वश में कर लिया ? किम भांति ? कैमे . . . ?
(उसी क्षण प्रतिहारी का प्रवेश) प्रतिहारी : सम्राट् की जय ! क्षत्रिय कुमार विजय और मुमिव द्वार पर हैं। सिद्धार्थ : वे भी तो कुमार वर्धमान के साथ लक्ष्य-बंध के लिए अभ्यास करते
थे। · ·उनसे पूरी सूचना मिलेगी। (प्रतिहारी से) उन्हें शीघ्र ही भेजो।