Book Title: Jay Vardhaman
Author(s): Ramkumar Varma
Publisher: Bharatiya Sahitya Prakashan

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Page 47
________________ दूसरा अंक (परदा उठने के पूर्व नेपथ्य से चर्या - पाठ ) उवसमेण हणे कोहं, माणं मद्दवया जिणे । मायामज्जव भावेण, लोभं संतोसओ जिणे ॥ (दशर्वकालिक = ३६ ) [ अर्थात् शमन से क्रोध को जीते, मृदुता से अभिमान को जीते, सरलता से माया को जीते, और संतोष से लोभ को जीते । ]

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