Book Title: Jain Dharm Ki Kahaniya Part 10
Author(s): Rameshchandra Jain
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation

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Page 6
________________ जिनवाणी संग्रह), चौबीस तीर्थंकर महापुराण (हिन्दी - गुजराती), पाहुड़दोहा - भव्यामृत शतक, आत्मसाधना सूत्र, विराग सरिता तथा लघुतत्त्वस्फोट, अपराध क्षणभर का (कॉमिक्स) – इसप्रकार २६ पुष्प प्रकाशित किये जा चुके हैं। ब्र. जैनधर्म की कहानियाँ भाग - १० के रूप में ब्र. हरिलाल जैन, सोनगढ़ द्वारा लिखित १७ पौराणिक कथाएँ एवं ७ प्रेरक प्रसंगों को प्रकाशित किया जा रहा है। सहज बोधगम्य एवं सरल-सुबोध शैली में लिखी गई इन कहानियों के माध्यम से जी ने हमें उत्कृष्ट तत्त्वज्ञान प्रदान किया है। अतः हम उनके हृदय से आभारी हैं। इनका सम्पादन एवं वर्तनी की शुद्धिपूर्वक मुद्रण कर पण्डित रमेशचन्द जैन शास्त्री, जयपुर ने इन्हें और भी सुन्दर एवं आकर्षक बना दिया है। अतः हम उनके भी आभारी हैं। आशा है पाठकगण इनसे अपने जीवन में पवित्रता एवं सुदृढ़ता प्राप्त कर सन्मार्ग पर चलकर अपना जीवन सफल करेंगे । जैन बाल साहित्य अधिक से अधिक संख्या में प्रकाशित हो । – ऐसी हमारी भावी योजना है। इस सन्दर्भ में आपके बहुमूल्य सहयोग व सुझाव अपेक्षित हैं। साहित्य प्रकाशन फण्ड, आजीवन ग्रन्थमाला परमशिरोमणि संरक्षक, शिरोमणि संरक्षक, परमसंरक्षक एवं संरक्षक सदस्यों के रूप में जिन दातार महानुभावों का सहयोग मिला है, हम उन सबका भी हार्दिक आभार प्रकट करते हैं और आशा करते हैं कि भविष्य में भी सभी इसी प्रकार सहयोग प्रदान करते रहेंगे । विनीतः मोतीलाल जैन अध्यक्ष प्रेमचन्द जैन साहित्य प्रकाशन प्रमुख आवश्यक सूचना पुस्तक प्राप्ति अथवा सहयोग हेतु राशि ड्राफ्ट द्वारा " अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन, खैरागढ़” के नाम से भेजें हमारा बैंक खाता स्टेट बैंक आफ इण्डिया की खैरागढ़ शाखा में है। (४)

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