Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
| अणेगरूवे पाणे विहिंसंति ४६से बेमि इमंपिजाइधम्मयं एयंपिजाइध्मयं इमंपि वुड्ढिधम्मयं एयंपिवुढिधम्मयं इमंपि चित्तमंतयं एयंपि चित्तमंतयं इमंपि छिण्णं मिलाइ एयंपि छिण्णं मिलाइ इमंपि आहारगंएयपि आहारगं इमंपि अणिच्चयं एयंपि अणिच्चयं इमंपि असासयं एयंपि असासयं (इमंपि अधुवं एयंपि अधुवं चू) इमंपि च्यावचइयं एयंपि च्यावचइयं इमंपि विपरिणामधम्मयं (प्र० णाभियं) एयंपि विपरिणामस्मयं ४७) एत्थ सत्थं समारभमाणस्स इच्छेते आरंभा अपरिपणाता भवंति, एत्थ सत्थं असभारभमाणस्स इच्छेते आरंभा परिण्णाया भवंति, तं परिण्णाय मेहावी व सयं वणस्सइसत्थं समारंभेजा णेवऽण्णेहिं वणस्सइसत्थं समारंभावेजा |णेवण्णे वणस्सइसत्थं० समणुजाणेजा जस्सेते वणस्सतिसत्थसंमारंभा परिण्णाया भवंति से हु मुणी परिण्णायकम्मेत्तिबेमि । ४८/ अ०१ ॐ०५॥
से बेमि संतिमे तसा पाणा, तंजहा अंडया पोयया जराउआ रसया संसेयया संमुच्छिमा उब्भिया उववाइया एस संसारेत्ति पवुच्चई १४९। मंदस्सावियाणओ५० निजाइत्ता पडिलेहित्ता पत्तेयं परिनिव्वाणं सव्वेसिं पाणाणं सव्वेसिं भूयाणं सव्वेसि जीवाणं सव्वेसिं सत्ताणं अस्सायं अपरिनिव्वाणं महब्मयं दुक्खंति बेमि. तसंति पाणा पदिसो दिसासु य १५१ । तत्थ तत्थ पुढो पास आतुरा परितावंति, संति पाणा पुढो सिया । ५२। लजमाणा पुढो पास अणगारा मोत्ति एगे पवयमाणा जमिणं विरूवरूवेहिं सत्थेहि तसकायसमारंभेणं तसकायसत्थं समारभमाणा अण्णे अ(५०) णेगरूवे पाणे विहिंसंति, तत्थ खलु भगवया परिण्णा पवेइया, | ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147