Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 74
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | माउलिंगपा १३ मुद्दियापा १४ दालिममा १५ खजूरपा १६ नालियेरपा १७ कीरपा १८ कोलपा १९ आमलपा २० चिंचापा २१| अन्नयरं वा तहप्पगारं पाणगजातं सअट्ठियं सकणुयं सबीयगं अस्मंजए भिक्खुपडियाए छब्बेण वा दूसेण वा वालगेण वा आवीलियाण परिवीलियाण परिसावियाण आहटु दलइजा तहप्पगारं पाणगजायं अफा० लाभे संते नो पडिगाहिज्जा २६६। से भिक्खु वा० २ आंगतारेसु वा आरामागारेसुवा गाहावइगिहेसु वा परियावसहेसु वा अनगंधाणि वा पाणगंधाणि वा सुरभिगंधाणि वा आधाय २ से तत्थ आसायपडियाए मुच्छिए गिद्धे गढिए अझोववने अहो गंधो २ नो गंधमाघाइजा । २६७ से भिक्खू वा २ से जं० सालुयं वा बिरालियं वा सासवनालियं वा अनयरं वा तहप्पगारं आमगं असत्थपरिणयं अफासु से भिक्खू वा से जंपुण पिपलिं वा पिप्पलिचुण्णं वा मिरियं वा मिरियचुण्णं वा सिंगबेरं वा सिंगबेर चुण्णं वा अन्नयरं वा तहप्पगारं आमगंवा असत्थप० सेभिक्खू वा० से जं पुण पलंबजायं जाणिज्जा, तंजहा अंबपलंबं वा अंबाडगपलंबं वा तालप झिझिरिप, सुरहि, सल्लरप, अन्नयरं तहप्पगारं पलंबजायं आमगं असत्थय । से भिक्खू २ से जं पुण पवालजायं जाणिजा, तंजहा आसोपवालं वा निग्गोहप, पिलुंखुप, निपूरप (प्र० नीयुरप) सल्लइप, अन्नयरं वा तहप्पगारं पवालजायं आमगं असत्थपरिणयं से भि० २ से जंपुण सरडुयजायं जाणिज्जा, तंजहा सरडुयं (५० अंबसरडुंयंवा अंबाडगसरडुयं) कविलुसर दाडिमसर, बिल्लस, अन्यरं वा तहप्पगारं सरडुजायं आमं असत्थपरिणयं से भिक्खु वा से जंपु० तंजहा उंबरमधुंवा नग्गोहम, पिलंखुमं,आसोत्थम,अन्नयरं वा तहप्पगारं मथुजायं आमयं दुरुकं साणुवीयं अफासुयं,१२६८ ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र। | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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