Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 119
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भि० अहं च० नो उग्गहं उम्गिहिस्सामि, अन्नेसिंच उग्गहे उग्गहिए उवल्लिस्सामि, चउत्था पडिमा ३। अहावरा० जस्सणं० अहं च|| खलु अपणो अट्ठाए उग्गहं च ३०, नो दुण्हं नो तिण्हं नो चउण्हं नो पंचण्हं, पंचमा पडिमा ५ । अहावरा० से भि० जस्स एव उग्गहे | उल्लिइज्जा जे तत्थ अहासमनागए इकडे वा जाव पलाले तस्स लाभे संवसिज्जा, तस्स अलाभे उकुडुओ वा नेसजिओ वा विहरिजा, छट्ठा पडिमा ६ । अहावरा स० जे भि० अहासंथडमेव उग्गहं जाइज्जा, तंजहा पुढविसिलं वा कसिलं वा अहासंथडमेव तस्स लाभे संते०, तस्स अलाभे ३० ने० विहिरजा, सत्तमा पडिमा ७ । इच्चेयासिं सत्तण्हं पडिमाणं अन्नयरं जहा पिंडेसणा । ३८४ सुयं मे आउसंतेणं भगवया एवमक्खायं इह खलु थेरेहिं भगवंतेहिं पंचविहे उग्गहे पन्नत्ते, तं० देविंदउगहे १ रायगहे २ गाहावइउगहे ३ सागारियउग्गहे ४ साहम्मियउग्गहे ५, एवं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं ।३८५३०२ अवग्रहाध्ययनं ७ चूलिका से भिक्खू वा० अभिकंखेज्जा ठाणं ठाइत्तए, से अणुपविसिज्जा गामं वा जाव रायहाणिं वा, से जं पुण ठाणं जाणिज्जा सअंडं जाव मक्कडासंताणयं तं तह० ठाणं अफासुयं अणेस० लाभे संतेनो ५०, एवं सिजागमेण नेयव्वं जाव उदयपसूयाइति ॥ इच्च्याई आयतणाई उवाइकम्म २अह भिक्खू इच्छिज्जा चहिं पडिमाहिं ठाणं ठाइत्तए, तत्थिमा पढमा पडिमा अचित्तं खलु उक्सजिजा अवलंबिजा काएण विष्परिकमाइ (भिज्जासवियारं ठाणं ठाइस्सामि, पढमा पडिमा ।अहावरा दुच्चा पडिमा अचित्तं खलु उवसज्जेजा अवलंबिज्जा कारण विश्परिकम्माइनो सवियारं ठाणंठाइस्सामि, दुच्चा पडिमा । अहावरा तच्चा पडिमा अचित्तं खलु उवसजेज्जा ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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