Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 66
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संतांणया बहवे तत्थ समणमाहणअतिहिकिवणवणीमगा उवागया उवागमिस्संति (उवागच्छंति) तत्थाइना वित्ती नो पन्नस्स|| निक्खमणपवेसाए नो पन्नस्स वायणपुच्छणपरियट्टणाणुध्येहधम्माणुओगचिंताए, से एवं नच्चा तहप्पगारं पुरेसंखडिं वा पच्छासंखडिं वा संखडि संखडिपडिआए नो अभिसंधारिजा गभणाए, से भिक्खुवा० से जं पुण जाणिजा मंसाइयं वा मच्छाइयं वा जाव हीरमाणं वा पेहाए अंतरा से मग्गा अया पाणा जावसंताणगा नो जत्था बहवे समण जाव उवागमिस्संति अप्पाइन्ना वित्ती पनस्स निक्खमणपवेसाए पत्रस्स वायणपुच्छणपरियट्टणाणुध्येहथ्माणुओगचिंताए, सेवं नच्चा तहय्यगारं पुरेसंखडिं वा० अभिसंधारिज गमणाए । २४५। से भिक्खुवा २ जाव पविसिउकामे से जं पुण जाणिज्जाखीरिणियाओ गावीओखीरिजमाणीओ पहाए असणंवा ४ उवसंखडिजमाणं पेहाए पुर। अप्पजूहिए सेवं नच्चा नो गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए निक्खमिज वा पविसिज्ज वा, से तमादाय एगंतमवक्कमिज्जा अणावायमसंलोए चिट्ठिजा, अह पुण एवं जाणिज्जा, खीरिणियाओ गावीओ खीरियाओ पेहाए असणं वा ४ उवक्खडियं पेहाए पुराए जुहिए सेवं नच्चा तओ संजयामेव गाहा. निक्खमिज्ज वा० ॥२४६॥ भिक्खागा नाभेगे एवमासु समाणा वा वसमाणा वा गामाणुगाम दुईजमाणे खुड्डाए खलु अयं गामे संनिरुद्धाए नो महालए से हंता भयंतारो बाहिरगाणि गामाणि भिक्खायरियाए वयह, संति तत्थेगइयस्स भिक्खुस्स पुरेसंथुया वा पच्छासंथुया वा परिवंसति, तंजहा गाहावई वा गाहावइणीओ वा गाहावइपुत्ता वा गाहावयधूयाओ वा गाहावईसुण्हाओ वा धाईओ वा दासा वा दासीओ वा कम्मकरा वा कम्मरीओ वा. तहप्पगाराई कुलाई पुरेसंथुयाणि वा | ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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