Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 137
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निच्चप्पणो, णिचणेए) जाव समुप्पने तण्णं दिवसं भवणवइवाणमंतरजोइसियविभाणवासिदेवेहि य देवीह य उवयंतेहिं जाव|| उप्पिंजलगब्भूए यावि हुत्था, तओ णं सभणे भगवं महावीरे उम्पन्नवरनाणदंसणधरे अप्पाणं च लोगं च अभिसभिक्ख पुव्वं देवाणं धम्ममाइक्खइ, ततो पच्छ। मणुस्साणं, तओ णं समणे भगवं महावीरे उम्पननाणदंसणधरे गोयमाईणं समणाणं पंच महव्वयाई सभावणाई छज्जीवनिकाया आतिक्खति भासइ०, परूवेइ, तं० पुढविकाए जाव तसकाए, पढम भंते! ते, महव्वयं पच्चक्खामि सव्वं पाणाइयायं से सुहुम वा बायरं वा तसं वा थावरं वा नेव सेयं पाणाइवायं करिजा ३ जावजीवाए तिविहंतिविहेण मणमा वयसा कायसा तस्स भंते, पडिकमामि निंदामि गरिहामि अयाणं वोसिरामि, तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति, तत्थिमा पढमा भावणा ईरियासमिए से निगंथे नो अणईरियासभिएत्ति, केवली बूया अणईरियासमिए से निगंथे पाणाई भूयाई जीवाइं सत्ताई अभिहणिज वा वत्तिज वा परियाविज वालेसिज्ज वा उद्दविज वा, ईरियासमिए से निग्गंथे नो ईरियाअसमिइत्ति पढमा भावणा १ अहावरादुच्चा भावणा भणं परियाणइ से निग्गंथे, जे य मणे पावए सावजे सकिरिए अण्हयकरे छेयकरे भेयकरे अहिगरणिए पाउसिए पारियाविए पाणाइवाइए भूओवधाइए, तहथ्यगारं मणं नो पधारिजा गमणाए, मणं परिजाणइ से निग्गंथे, जे यमणे अपावएत्ति दुच्चा भावणा २] अहावरा तच्चा भावणा वई परिजाणइ से निगंथे, जा य वई पाविया सावजा सकिरिया जाव भूओवधाइया तहप्पगारं वई न उच्चारिजा, जे वई परिजाणइ से निग्गंथे, जाय वई अपावियत्ति तच्चा भावणा३। अहावरा चउत्था भावणा आयाणभंडमत्तनि॥ ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147