Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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अवलंबिजा नो कारण विपरिकामाई नो सवियारं ठाणं ठाइस्सामित्ति, तच्चा पडिमा । अहावरा चउत्था पडिमा अचित्तं खलु|| उवसज्जेजा नो अवलंबिजा कारण नो परकम्माई नो सवियारं ठाणं ठाइस्सामित्ति वोसट्टकाए वोसट्ठकेसमंसुलोमनहे संनिरुद्धं वा ठाणं ठाइस्सामिति, चउत्था पडिमा, इच्चेयासिं चउण्हं पडिमाणं जाव पग्गहियतरायं विहरिजा, नो किंचिवि वइज्जा, एवं खलु तस्स० जाव जइज्जासित्तिबेमि । ३८६। स्थानसातसतकं १ (८)॥
से भिक्खू वा २ अभिकं निसीहियं फासुयं गमणाए, से पुण निसीहियं जाणिज्जा सअंडं० तह० अफा० नो चेइस्सामि ॥ से भिक्खू० अभिकंखेजा निसीहियं गमणाए, से पुण नि० अथ्यपाणं अपबीयं जाव संताणयं तह० निसीहीयं फासुयं चेइस्सामि, एवं सिज्जागमेणं नेयव्वं जाव उदयप्पसूयाई॥जे तत्थ दुवग्गा तिवग्गा उग्गा पंचवम्गा वा अभिसंधारिति निसीहियं गमणाए ते नो अन्नमनस्स कायं आलिंगिज वा विलिंगिज वा चुंबिज्ज वा दंतेहिं वा नहेहिं वा अच्छिंदिन वा वुच्छिं०, एयं खलु० जं सवढेहिं सहिए| समिए सया जएज्जा, सेयमिणं मनिज्जासित्तिबेमि । ३८७ । नैषेधिकीसप्तसमकं २ (९)॥
से भि० उच्चारपासवणकिरियाए उब्बाहिजमाणे सयस्स पायपुंछणस्स असईए तओ पच्छ। साहम्मियं जाइज्जा ॥से भि० से जं पु० थंडिल्लं जाणिज्जा सअंडं० तह० थंडिलंसि नो उच्चारपासवणं वोसिरिज्जा ॥से भि० जं पुष ५० अथ्यपाणं जाव संताणयं तह० थं० उच्चा० वोसिरिजा ॥से भि० से जं० अस्सिं पडियाए एगं साहम्मियं समुद्दिस्स वा अस्सिं० बहवे साहम्मिया स० अस्सिं ५० ॥॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥ |
| पू. सागरजी म. संशोधित
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