Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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उग्गहं उग्गिण्हिज्जावा २॥से भिसेजं पुण० ससागारियं० सखुड्डुपसुभत्तपाणं नो पन्नस्स निक्खसमणपवेस जावधभ्माणुओगचिंताए, सेवं नच्चा तह उवस्सए ससागारिए० नो उगहं उग्गिहिज्जा वा २॥से भिसे जं० गाहावइकुलस्समझंमज्झेणं गंतुं पंथे पडिबद्धं वा नो पनस्स जाव सेवं न०॥ से भि० से जं० इह खलु गाहावई वा जाव कम्मकरीओ वा अन्नभन्नं अक्कोसंति वा तहेव तिल्लादि| सिणाणादि सीओदगवियडादि निगिणाइ वा जहा सिजाए आलावगा, नवरं उगहवत्तव्वया ॥ से भि० से जं आइन्नसंलिक्खे नो/ पत्रस्स० उग्गिहिज वा २० एयं खलु० १३८१।१० ७ ३० १॥से आगंतारेसु वा ४ अणुवीइ उग्गहं जाइजा, जे तत्थ ईसरे, ते उग्गहं| अणुनविजा काम खलु आउसो ! अहालंदं अहापरित्रायं वसामो जाव आउसो ! जाव आउसंतस्स उग्गहे जाव साहम्मिआए ताव उगहं| उम्गिहिस्सामो, तेण परं वि०, से किं पुण?, तत्थ उग्गहंसि एवोग्गहियंसिजे तत्थ समणाण वा माह० छत्तए वा जाव चम्मछेदणए वा तं नो अंतोहिंतो वाहिं नीणिजा बहियाओ वा नो अंतो पविसिज्जा, सुत्तं वा नो पडिबोहिज्जा, नो तेसिं किंचिवि अपत्तियं पडिणीयं करिज्जा ३८२शसे भि० अभिकंखिज्जा अंबवणंउवागच्छितए जे तत्थ ईसरे २ ते उग्गहं अणुजाणाविजा काम खलु जावविहरिस्सामो, से किं पुण० एवोग्गहियंसि० अह भिक्खू इच्छिज्जा अंबं भुत्तए वा से जंपुण अंबं जाणिजा सअंडं ससंताणं तह० अंबं अफा० नो ५० से भि० से जं० अप्पंडं अप्पसंताणगं अतिरिच्छच्छिन्नं अव्वोच्छिन्नं अफासुयं जाव नो पडिगाहिज्जा ॥ से भि० से जं० अपंडं वा जाव संताणगं तिरिच्छच्छिन्नं वुच्छिन्नं फा० पडि०॥से भि० अंबभित्तगंवा अंबपेसियं वा अंबचोयगंवा अंबसालगंवा अंबडालगंबा ॥ ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र ।
पू. सागरजी म. संशोधित ||
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