Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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||पडिमा से भि० उझियधम्मियं जाएजा जं चऽन्ने बहवे समणा जाव नावकंखंति तह० जाएजा जाव पडि०, चउत्था पडिमा ४ ।।।
इच्चेझ्याणं चउण्हं पडिमाणं अनयरं पडिम जहा पिंडेसणाए ॥से णं एयाए एसणाए एसमाणं पासित्ता, परो वइज्जा आउ० स०! एज्जासि तुझं मासेण वा जहा वत्थेसणाए, से णं परो नेता व० आ० भ० ! आहर एवं पायं तिल्लेण वा ५० नव० वसाए वा अब्भंगित्ता वा तहेव सिणाणादी तहेव सीओदगाई कंदाइ तहेव ॥ से णं परो ने० आउ० स० ! मुहत्तगं २ जाव अच्छाहि ताव अहे असणं व उवकरेंसु वा उवक्खडेंसु वा, तो ते वयं आउसो ! सपाणं सभोयणं पडिग्गहं दाहामो, तुच्छए पडिग्गहे दिने समणस्स नो सुटु साह भवइ, से पुवामेव आलोइज्जा आउ० भइ० ! नो खलु मे कप्पइ आहाकम्मिए असणे वा ४ भुत्तए वा० मा उवकोहि मा उवक्खडेहि, अभिकंखसिमे दाउ एमेव दलयाहि,से सेवं वयंतस्स परो असणंवा ४ उवकरित्ता उवक्खडित्ता सपाणं सभोयणं पडिग्गहगंदलइज्जा तह० पडिग्गहगं अफासुयं जाव नो पडिगाहिजा ॥सिया से परो उवणित्ता पडिग्गहगं निसिरिजा, से पुव्वामे० आ3० भ० ! तुमचेव णं संतियं पडिग्गहगं अतोअंतेणं पडिलेहिस्सामि, केवली० आयाण० अंते पडिग्गहगंसि पाणाणि वा बीया० हरि०, अह भिक्खूणं पु० जं पुवामेव पडिग्गहगं अंतोअंतेणं पडि० सअंडाइं सब्वे आलावगा भाणियव्वा जहा वत्थेसणाए, नाणत्तं तिल्लेण वा धय० नव० वसाए वा सिणाणादी जाव अन्नयरंसि वा तहप्यगा० थंडिलंसि, पडिलेहिय २ पम० २ तओ० संज० आमजिजा, एवं खलु० सया जएज्जात्तिबेमि । ३७५। अ० ६ ३० १॥ से भिक्खू वा २ गाहावइकुलं पिंड० पविढे समाणे पुव्वाभेव पेहाए पडिग्गहगं अवहट्ट पाणे | ॥श्रीआचारङ्ग सूत्र॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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