Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 46
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir से भिक्खू परिक्कभिज वा चिट्ठिज वा निसीइज वा तुयट्टिज वा सुसाणंसि वा सुत्रागारंसि वा गिरिगुहंसि वा रुक्खमूलसि वा कुंभाराययणंसि वा हुरत्था वा कहिंचि विहरमाणं तं भिक्खं उवसंकभित्तु गाहावई बूया आउसंतो समणा ! अहं खलु तव अढाए असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा वत्थं वा पडिग्गहं वा कंबलं वा पायपुच्छणं वा पाणाइं भूयाई जीवाई सत्ताई समारब्भ समुद्दिस्स कीयं पामिच्चं अच्छिजं अणिसटुं अभिहडं आहट्ट चेएमि आवसहं वा समुस्सिणोमि से भुंजह वसह आउसंतो समणा! भिक्खू तं गाहावई समणसं सवयसं पडियाइक्खे आउसंतो ! गाहावई नो खलु ते वयणं आढामि नो खलु ते वयणं परिजाणामि जो तुम मम अट्ठाए असणं वा ४ वत्थं वा ४ पाणाई वा ४ सभारम्भ समुद्दिस्स कीयं पामिच्चं अच्छिज्जं अणिसटुं अभिहडं आहट्ट चेएसि आवसहं वा समुस्सिणासि, से विरओ आउसो गाहावई ! एयस्स अकरणयाए । १९९१ से भिक्खं परिक्कमिज वा जाव हुरत्था वा कहिंचि विहरमाणं तं भिक्खू उवसंकभित्तु गाहावई आयगयाए पेहाए असणं वा ४ वत्थं वा ४ जाव आहड चेएइ आवसहं वा समुस्सिणाइ भिक्खु परिघासेडे, तं च भिक्खू जाणिजा सहसम्मइयाए परवागरणेण अन्नेसिं वा सुच्चा अयं खलु गाहावई मम अट्ठाए असणं वा ४ वत्थं वा ४ जाव आवसहं वा समुस्सिणाइ, तं च भिक्खू पडिलेहाए आगमित्ता आणविजा अणासेवणाएत्तिबेमि १२०० भिक्खं च खलु पुट्टा वा अपुट्ठा वा जे इमे आहच्च गंथा वा फुसंति से हंता हणह खणह छिंदह दहह पयह आलुंपह विलुपह सहसाकारह विध्यरामुसह, ते फासे धीरो पुट्ठो अहियासए अदुवा आयारगोयरमाइखे तकिया णमणेलिसं अदुवा वइगुत्तीए गोयरस्स अणुपुव्वेण ॥ श्रीआचाराङ्ग सूत्र पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147