________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
___ से यनो सुलभे फासुए उछे अहेसणिजे नो य खलु सुद्धे इमेहिं पाहुडेहि, तंजहा छायणाओ लेवणओ संथारदुवारपिहणओ|| पिंडवाएसणाओ, से य भिक्खू चरियारए ठाणरए निसीहियारए सिजासंथारपिंडवाएसणारए, संति भिक्खुणो एवमक्खाइणो उज्जुया || नियागपडिवत्रा अमायं कुव्वमाणा वियाहिया, संतेगइया पाहुडिया उक्खित्तपुव्वा भवइ, एवं निक्खित्तपुव्वा भवइ, परिभाइयपुव्वा भवइ, परिभुत्तपुव्वा भवइ, परिछवियपुव्वा भवइ, एवं वियागरेमाणे समियाए वियागरेइ ?, हंता भवइ । ३१० से भिक्खू वा० से जं पुण उवस्मयं जाणिजा खुड्डियाओ खुड्डदुवारियाओ निययाओ संनिरुद्धाओ भवन्ति, तहप्पणा० उवस्सएराओवा वियाले वा निक्खममाणे वा ५० पुरा हत्थेण वा पच्छा पाएण वा तओ संजयामेव निक्खमिज वा २, केवली बूया आयाणमेयं, जे तत्थ समणाण वा माहणाण वा छत्तए वा मत्तए वा दंडए वा लट्ठिया वा भिसिया वा नालिया वा चेलं वा चिलिमिली वा चम्मए वा चम्मकोसए वा चम्मच्छेयणए वा दुब्बद्धे दुनिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले भिक्खू यराओ वा वियाले वा निक्खममाणे वा २ पयलिज वा २, से तत्त पयलमाणे वा० हत्त्थं वा० लूसिज्ज वा पाणाणि वा ४ जाव ववरोविज्ज वा, अह भिक्खूणं पुव्वोवइ8 जंतह० उवस्सए पुरा हत्थेण निक्ख० वा पच्छ। पाएणं तओ संजयामेव नि० पविसिज वा ।३१११ से आगंतारेसु वा० अणुवीय उवस्मयं जाइज्जा, जे तत्थ ईसरे जे तत्त समहिट्ठाए ते उवस्सयं अणुनविज्जा काम खलु आउसो ! अहालंदं अहापरित्रायं वसिस्सामो जाव आउसंतो ! जाव आउसंतस्स उवस्सए जाव साहम्मियाइं ततो उवस्सयं गिण्हिस्सामो तेण परं विहरिस्सामो ।३१२से भिक्खू वा० जस्सुवस्सए संवसिज्जा तस्स पुव्वामेव नामगुत्तं ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥
७८
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only