Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 141
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निझाइत्तए सियत्ति दुच्चा भावणा २१अहावरा तच्चा भावणा नो निग्गंथे इत्थीणं पुवरयाई पुव्वकीलियाई सुमरित्तए सिया, केवली बूया निग्गंथे णं इत्थीणं पुव्वरयाई पुवकीलियाई सरमाणे संतिभेया जाव भंसिज्जा, नो निग्गंथे इत्थीणं पुवरयाई पुव्वकीलियाई सरित्तए सियत्ति तच्चा भावणा३ अहावरा चउत्था भावणा नाइमत्तपाणभोयणभोई से निग्गंथेन पणीयरसभोयणभोई से निग्गंथे, केवली बूया अइमत्तपाणभोयणभोई से निग्गंथे पणीयरसभोयणभोई संति० त्ति चउत्था भावणा ४ । अहावरा पंचमा भावणा नो निग्गंथे इत्थीपसुपंडसंसत्ताई सयणासणाई सेवित्तए सिया, केवली बूया निग्गंथे णं इत्थीपसुपंडगसंसत्ताई सयणासणाई सेवेमाणे संतिभेया जाव भंसिज्जा, नो निग्गंथे इत्थीपसुपंडगसंसत्ताई सयणासणाई सेवित्तए सियत्ति पंचमा भावणा५, एतावया चउत्थे महव्वए सम्मं कारण फासिए जाव आराहिए यावि भवइ, चउत्थं भंते ! महव्व्यं० ॥अहावरं पंचमं भंते ! महव्वयं सव्वं परिग्गहं पच्चक्खामि से अध्यं वा बहुं वा अणुं वा थूलं वा चित्तमंतमचित्तं वा नेव सयं परिग्गहं गिहिज्जा नेवनेहिं परिग्गहं गिहाविजा अन्नपि परिग्गह गिण्हतं न समणुजाणिजा जाव वोसिरामि, तस्सिमाओपंच भावणाओ भवंति, तत्थिमा पढमा भावणा सोयओणं जीवे मणुनामणुनाई सद्दाई सुणेइ मणुनामणुनेहिं सद्देहिं नो सजिज्जा नो रजिज्जा नो गिझेजा नो मुझि (च्छे ) ज्जा नो अझोवजिजा नो विणिधायमावजेजा, केवली बूया निग्गंथे णं मणुनामणुन्नेहिं सद्देहिं सज्जमाणे रज्जमाणे जाव विणिधायमावजमाणे संतिभेया संतिविभंगा संतिकेवलिपनत्ताओ धम्माओ भंसिज्जा, न सका न सोउ सहा, सोतविसयमागया । रागदोसा उ जे तत्थ, ते भिक्खू परिवजए ॥ १३१॥ सोयओ जीवे || ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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