Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 136
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अहिआसइस्माभि, तओ णं० स० भ० महावीरे इभं एयारूवं अभिन्गहं अभिगिण्हित्ता वोसिढचत्तदेहे दिवसे मुहुत्तसेसे कु (प्र० क)|| मा (५० मा ) रगामं समणुपत्ते, तओ णं स० भ० म० वोसिढचत्तदेहे अणुत्तरेणं आलएणं अणुत्तरेणं विहारेणं एवं संजमेणं पग्गहेणं संवेरणं तवेणं बंभचेरवासेणं खंतीए मुत्तीए समिईए गुत्तीए तुट्ठीए ठाणेणं कमेणं सुचरियफलनिव्वाणमुत्तिमागेणं अय्याणं भावमाणे विहरइ, एवं वा विहरमाणस्स जे केइ उवसग्गा समुप्पजति तं० दिव्वा वा माणुस्सा वा तिरिच्छिया वा, ते सव्वे उवसग्गे समुप्पो समाणे अगाउले अव्वहिए अदीणमाणसे तिविहमणक्यणकायगुत्ते सम्म सहइ खमइ तितिक्खइ अहियासेइ, तओ णं समणस्स भगवओ महावीरस्स एएणं विहारेणं विहरमाणस्स बारस वासा वीइक्वंता तेरसमस य वासस्स परियार वट्टमाणस जे से गिम्हाणं पोरिसीए जभियगामस्स नगरस्स बहिया नईए उज्जुवालियाए उत्तरकूले सामागस्स गाहावइस्स कट्ठकरणसि उडेजाणूअहोसिरस्स झाणकोटोवायरस वेयावत्तस्स चेइयस्स उत्तरपुरच्छिमे दिसीभागे सालरुक्खस्स अदूरसाभंते उकुडुयस्स गोदोहियाए आयावणाए आयावेमाणस्स छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणंसुकझाणंतरियाए वट्टमाणस्स निव्वाणे कसिणे पडिपुन्ने अव्वाहए निरावरणे अगते अणुत्तरे केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने, से भगवं अरहं जिणे (प्र० जाणए) केवली सव्वन्नू सव्वभावदरिसी सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स पज्जाए जाणइ,तं आगई गई ठिइंच्यणं उववायं भुत्तं पीयं कडं पडिसेवियं आविकम्म रहोम्म लवियं कहियं मणोमाणसियं सव्वलोए सव्वजीवाणं सव्वभावाई जाणमाणे पासमाणे एवं चणं विहर३, जण्ण दिवसं समणस्स भगवओ महावीरस्स निव्वाणे कसिणे (५० ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र ५. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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