Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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|संभ पडिलेहए आयतगुते बुद्धेहिं एयं पवेइयं । २०११ से समणुने असमणुवस्स असणं वा जाव नो पाइजा नो निमंतिजा नो कुजा/ वेयावडियं परं आढायमाणेत्तिबेमि । २०२। धम्ममायाणह पवेइयं माहणेण मइमया सभणुने समणुनस्स असणं वा जाव कुजा वेयावडियं परं आढायमाणेत्तिबेमि । २०३॥०८ ३०२॥
मज्झिमेण व्यसाविएगे संबुज्झमाणा समुट्ठिया,सुच्चा मेहावी व्यणं पंडियाणं निसामिया समियाए धम्म आरिएहिं पवेइए. ते अणवकंखमाणा अणइवाएमाणा अपरिग्गहेमाणा नो परिग्गहावंती, सव्वावंति च णं लोगंसि निहाय दंडं पाणेहिं पावं कम्म अकुव्वमाणे एस महं अगंथे वियाहिगए ओए जुइमस्स खेयन्ने उववायं चवणं च नच्चा । २०४। आहारोवच्या देह। परीसहपभंगुरा पासह एए सव्विंदिएहिं परिगिलायमाणेहिं ।२०५।ओए दयं दयइ, जे संनिहाणसत्थस्स खेयन्ने से भिक्खू कालन्ने बलने मायने खणत्रे विणयने समयण्णे परिम्गहं अभमायमाणे कालेणुहाई अपडिन्ने दुहओ छित्ता नियाइ । २०६। तं भिक्खं सीयफासपरिवेवमाणगायं उवसंकमित्ता गाहावई बूया आउसंतो समणा ! नो खलु ते गामधम्मा उब्बाहंति?, आउसंतो गाहावई ! नो खलु मंगामधम्मा उब्बाहंति, सीयफासंच नोखलु अहं संचाएमि अहियासित्तए नो खलु मे कप्पइ अगणिकायं उज्जालित्तए वा (पज्जालित्तए वा) कायं आयावित्तए वापयावित्तए वा अन्नेसिं वा वयाओ, सिया स एवं वयंतस्स परो अगणिकायं उज्जालित्ता पजालित्ता कायं आयाविज वापयाविन वातंच भिक्खु पडिलेहाए आगमित्ता आणविजा अणासेवणाएत्तिबेमि । २०७० अ०८३०३॥ । ॥ श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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