________________
उत्पाद व्यय ध्रुव स्व. पर गुण के सब पर्याय प्रवर्तमान होते है। यह गुणपर्याय के उत्पाद, व्याय, ध्रुव का चोथा स्वरुप कहा.
तथा सर्वे पदार्थाः अस्तिनास्तित्वेन परिणामिनः तत्रास्ति भावानां स्वधर्माणां परिणामिकत्वेन उत्पादव्ययौ स्तः नास्ति भावानां परद्रव्यादिनां परावृतो नास्तिभावानां परावृत्तित्वेनाप्युत्पादव्ययौ ध्रुवत्वं च अस्तिनास्ति द्वयौ इति पञ्चमः ।
अर्थ-सब द्रव्य आस्तिनास्तिरुप दो स्वभाव परिणामी है. स्वद्रव्यादि प्राही अस्तिस्वभाव है. जिस समय ज्ञानगुण घट जानता है उस समय घट ज्ञान की अस्तिता है. और घट ध्वंस होने पर कपालज्ञान हुवा उस समय घट ज्ञान के अस्तिता का व्यय और कपालज्ञान के अस्तिता का उत्पाद यह अस्तिता का उत्पाद व्यय कहा । इसी तरह नास्तिताका का भी उत्पाद व्यय समझ लेना ।। पर द्रव्य के पलटने से नास्तिता पलटती है और स्वगुण परिणामिक कार्य के पलटने से अस्तिता पलटती है. जहां पलटन-परिवर्तन भाव है वहां उत्पाद व्यय होता है. इस तरह सब द्रव्यों में सामान्य भाव से सब धर्म है. जिस पदार्थ में जैसा संभव हो वैसा जिन भागम को आबाधित पने उपयोग पूर्वक उत्पाद, व्यय का स्वरुप कहना. आस्तिनास्तिपने ध्रुव है यह पांचवां अधिकार कहा।
तथा पुनः अगुरुलघुपर्यायाणां षडगुषहानिद्धिरुपाणां प्रतिद्रव्यं परिणमनात् नानाहानिव्ययेवृद्धमुत्पादः वृद्धिव्याये