Book Title: Naychakra Sara
Author(s): Meghraj Munot
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpmala

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Page 164
________________ गोडवाड़ में किस बात की आवश्यक्ता है ? (1) गोडबाड़ में अविद्याका साम्राज्य वरत रहा है इस लिये सबसे पहले विद्या प्रचारकी आवश्यक्ता हैं / लडकों की निष्पत् लड़कियों को पढ़ाने की परमावश्यक्ता हैं कारण जहाँ तक भावि माताओं को अपने कर्त्तव्यका ज्ञान न हो वहाँ तक संसार सुधार होना असंभव हैं। गोबरलाना, ढोलपर मैदान में नाचना, अश्लिल गीत-गाल गाना, चतुराई न रखना और कलेशमय जीवन बीताना इत्यादि हानी कारक कुप्रथाओं को देश निकाला देनेका सबसे पहिला सिधा और सरल उपाय कन्याओं को सुसंस्कारी सुशिक्षित सदाचारी और उद्योगी बनाना है कि वह अपनी संतान को सहज में सुधार सके / अतएव लड़का या लड़कियों के लिये विद्याशालाओं की जरूरत हैं ? (2) जैन जाति केवल एक व्यापार पर ही निर्भर हैं उस व्यापार की हालत दिन व दिन खराब होती जा रही हैं इस हालत में हमारे प्रत्येक कार्यों में खर्चा सदैव बढ़ता ही जा रहा हैं अगर इस में शीघ्रता से सुधार न हो तो जैन जाति का जीवन जोखममें ही समझना चाहिये। यह कार्य हमारे समाज के आगेवान व धनाढय लोगों के हाथ में हैं। (3) जैन जाति के अप्रेसरों ने पूर्व जमाना में जैसे व्यापार की ओर लक्ष दिया था वैसे ही इस समय हुन्नर की ओर लक्ष देने की जरूरत है कारण इस में साधारण स्थिति वाले भाई वहनों का गुजारा सुमिता से हो सक्ता है वास्ते प्रत्येक प्रान्त व ग्रामों मे हुन्नर-उद्योगशाला की जरूरत है. (4) गोडवाड़ में ऐसे ग्राम थोड़े होंगे कि जहाँ जाति न्याति संबंधी कलेश-धड़ा-तड़ो न हो। इससे जाति को वडा भारी नुकशान हुआ और होता जा रहा है वास्ते एक सुलेह सभा की भी परमावश्यक्ता है। शेष आगे " एक शुभचिंतक"

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