Book Title: Jain Yogki Varnmala
Author(s): Mahapragna Acharya, Vishrutvibhashreeji
Publisher: Jain Vishva Bharati Prakashan

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Page 13
________________ २१२ २१५ वीतराग (२) वीतराग चेतना क्रोधविजय और आभामंडल तपोयोग : स्वाध्याय स्वाध्याय का फल अनित्य अनुप्रेक्षा अशरण अनुप्रेक्षा संसार अनुप्रेक्षा एकत्व अनुप्रेक्षा अन्यत्व अनुप्रेक्षा अशौच अनुप्रेक्षा आश्रव-संवर अनुप्रेक्षा निर्जरा अनुप्रेक्षा धर्म अनुप्रेक्षा लोक-संस्थान अनुप्रेक्षा बोधिदुर्लभ अनुप्रेक्षा मैत्री भावना प्रमोद भावना कारुण्य भावना माध्यस्थ्य भावना अनुप्रेक्षा का फल प्रतिपक्ष भावना औदासीन्य (१) औदासीन्य (२) तपोयोग : ध्यान ध्यान की पृष्ठभूमि ध्यान के अधिकारी १७७ । ध्यान २०४ १७८ ध्येय और ध्यान १७६ धारणा २०६ १८० ध्यान के सहायक तत्त्व १८१ ध्यान की सामग्री (१) २०८ १८२ ध्यान की सामग्री (२) २०६ १८३ ध्यान विधि ध्यान : कालमान (१) ध्यान : कालमान (२) १८६ ध्यान : कालमान (३) २१३ १८७ ध्यान की कालावधि (१) २१४ १८८ ध्यान की कालावधि (२) १८६ ध्यान के हेतु १९० ध्यान और आसन (१) २१७ १९१ ध्यान और आसन (२) २१८ ध्यानस्थल (१) २१६ १६३ ध्यानस्थल (२) १६४ ध्यान की दिशा २२१ ध्यान की मुद्रा १६६ ध्यान की कोटियां २२३ ध्यान की योग्यता (१) २२४ ध्यान की योग्यता (२) २२५ १६६ ध्यान की योग्यता : ज्ञान भावना २२६ २०० । ध्यान की योग्यता : दर्शन भावना २२७ २०१ ध्यान की योग्यता : चारित्र भावना २२८ २०२ | ध्यान की योग्यता : वैराग्य भावना २२६ २०३ । ध्यान का क्रम २३० १६२ २२० १६५ . . १६७ १६८

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