Book Title: Vishanima Vanik Gnatino Itihas
Author(s): Mahasukhram Prannath Shrotriya
Publisher: Vadilal Mansukhram Parekh

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Page 6
________________ ॥श्री कुळदेव श्री॥ देव गदाधरराय (शामळाजी) प्रभुजीनी स्तुतिनुं अष्टक (शार्दुल विक्रिडित छंद) लक्ष्म्या सेवित पादपद्म युगलं कंदर्प कोटि प्रभु । नित्यं शाश्वतमव्ययं शिवतमं सत्यस्वरूपं परम् ॥ इन्द्रादैस्मरै स्तथा मुनिवरै ासादिभिः सेवितम् । वन्दे देव गदाधरं जलधरश्यामं सदा माधवम् ॥१॥ सद्योदर्शनतोऽधनाशनिपुणं भास्वत्सहस्त्रार्चिषम् । संसारार्णव तारक कीलमलं प्रध्वंसनं श्री हरिम् ॥ वकुंठाधिपतिं चतुर्भुज भज विश्वेश्वर निर्गुणम् । वन्दे देव गदाधरं जलधरश्यामं सदा माधवम् ॥२॥ योपत्ते विविधावतार रचना भक्तस्य तुष्टै विभु । यं चैतत्सकलं जगत्स्थित महो येनैव चोत्पादितम् ॥ कल्पान्ते विलयं करोत्यपिचतक्षस्तं जगत्छाशकं । वन्दे देव गदाधरं जलधरश्याम सदा माधवम् ॥३॥ दिनानां परिपालकं भवभयच्छेदैक दक्षं प्रभु । आम्नायै दुरितापहा चतुरैस्तोष्ठय मानं सदा ॥ तं पितांबर धारिणि मुररिपुंपापौध विध्वसनम् । वन्दे देव गदाघर जलधरश्यामं सदा माधवम् ॥४॥

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