Book Title: Jain Sampradaya Shiksha
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 11
________________ जैनसम्प्रदायशिक्षा ॥ परन्तु अपने शब्दार्थ को छोड़ दूसरा अर्थ बताती हो, जैसे-पङ्कज, पीताम्बर, हनूमान् , आदि। २- अर्थ के भेद से संज्ञा के तीन भेद है-जातिवाचक व्यक्तिवाचक और भाववाचक ॥ (१) जातिवाचक संज्ञा उसे कहते हैं-जिस के कहने से जातिमान का बोध हो, जैसे मनुष्य, पशु, पक्षी, पहाड़, इत्यादि ॥ (२) व्यक्तिवाचक संज्ञा उसे कहते है जिस के कहने से केवल एक व्यक्ति (मुख्यनाम) का बोध हो, जैसे-रामलाल, नर्मदा, रतलाम, मोहन, इत्यादि ॥ (३) भाववाचक संज्ञा उसे कहते है जिस से किसी पदार्थ का धर्म वा स्वभाव जाना जाय अथवा किसी व्यापार का बोध हो, जैसे-ऊंचाई, चढ़ाई, लेनदेन, बालपन, इत्यादि ॥ सर्वनाम का विशेष वर्णन ॥ सर्वनाम के मुख्यतया सात भेद हैं-पुरुषवाचक, निश्चयवाचक, अनिश्चयवाचक, प्रश्नवाचक, संबन्धवाचक, आदरसूचक तथा निजवाचक ॥ १- पुरुषवाचक सर्वनाम उसे कहते हैं-जिस से पुरुष का बोध हो, यह तीन प्रकार का है-उत्तमपुरुष, मध्यमपुरुष और अन्यपुरुष ॥ (१) जो कहनेवाले को कहे-उसे उत्तम पुरुष कहते हैं, जैसे मै॥ (२) जो सुनने वाले को कहे-उसे मध्यम पुरुष कहते है, जैसे तू। (३) जिस के विषयमें कुछ कहा जाय उसे अन्य पुरुष कहते है, जैसे-वह इत्यादि। २- निश्चयवाचक सर्वनाम उसे कहते है-जिससे किसी बात का निश्चय पाया जावे, इसके दो भेद है-निकटवर्ती और दूरवर्ती । (१) जो पास में हो उसे निकटवर्ती कहते हैं, जैसे यह ॥ (२) जो दूर हो उसे दूरवर्ती कहते है, जैसे वह ॥ ३- अनिश्चयवाचक सर्वनाम उसे कहते हैं-निस से किसी बात का निश्चय न पाया जावे, __ जैसे-कोई, कुछ, इत्यादि । ४- प्रश्नवाचक सर्वनाम उसे कहते हैं जिससे प्रश्न पाया जावे, जैसे-कौन, क्या, इत्यादि।। ५- सम्बंधवाचक सर्वनाम उसे कहते है जो कही हुई संज्ञा से सम्बंध बतलावे,जैसे-जो, सो, इत्यादि । ६- आदरसूचक सर्वनाम उसे कहते है-जिस से आदर पाया जावे, जैसे-आप, इत्यादि। ७- निजवाचक सर्वनाम उसे कहते है-जिस से अपनापन पाया जावे, जैसे-~-अपना इत्यादि।

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