Book Title: Catalogue of Manuscripts at Jesalmer
Author(s): C D Dalal
Publisher: Central Library
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CATALOGUE OF PALM-LEAF MAS.
यचासमंजसं किंचिज्ज्ञायतेत्र प्रमादतः ।
पुत्रापराधवत्सर्वं तद्बुधैर्मम सह्यताम् ॥ ७ ॥ 57. भगवतीवृत्ति (त्रुटित ) [by अभयदेव]. 434 leaves. 27x28. (मु.) _Beg:-[ सर्वज्ञमीश्वरमनन्तमसङ्गमञ्यं, सार्वीयम स्मरमनीशमनीहमि [ द्धम् ।]
सिद्धं शिवं शिवकरं etc. 58. आवश्यकबृहद्वृत्ति (द्वितीयखंड ). leaves 4-341. ( No. 380) (म.) 59. ( 1 ) समवायांगटीका. leaves 3-362. 31 x 2. (त्रुटित ) (मु.)
(2) सु(सू )यगडांग (सूत्रकृताङ्ग) टीका. 121-267 leaves. (त्रु.) (मु.) 60. योगशास्त्रटीका (मु.), आचारांग (मूल) (मु.), महानिशीथचूर्णि, पाक्षि
कसूत्रवृत्ति (मु.), आचारांगवृत्ति (मु.) (त्रुटितपु० ). 61. सम्यक्त्वालंकार. Beg:-प्रव्रज्याप्रमदाविवाहमहसि स्कंधस्थ केशावली
संक्रांतिच्छलतः कपोलविलसत्कस्तूरिकामंडनः । सर्वस्वर्वनिताप्रगीतधवलः सन्मार्गमासे... ...मिह जायतां जिनवरः श्रीनाभिभूः संमुखः ॥१॥ की. पीयूषवृष्टया मम निखिलममी तापमौर्वोत्थमनन् नूनं मत्वेति येभ्यः करचरणनखच्छद्मना रत्नराशिः। खःसन्मत्थ(१)मपि हि मणीः कौस्तुभं दासयन्तीः प्रीत्या प्राभृत्यका(न्मम ददतु शिवं तेजिताद्या जिनेंद्राः ॥ २ ॥ आयाता गलहस्तितामृतरुचिच्छत्रत्रयीच्छमतस्त्रिस्रोताः किल तीर्थमुत्तमतमं यं......वितुं । ऊर्ध्वस्था व्यरुचन्त्रिविष्टपज़ने श्वस्य(?)न्यथेयं कथं तीर्थत्वं जडरूपिणी व्रजति स श्रीवर्धमानः श्रिये ॥३॥ ऊर्ध्वस्फुटाम्रदलकः करुणामृतेनाकंठं भृतो दशनदीधि[ति?]पु... विश्वत्रयीशिरसि संस्थित आशु भूयाच्छीपावपूर्णकलशो मम संमुखीनः ॥ ४॥ श्रीगौतमः सूरिजिनेश्वरश्च श्रुतं च जैन श्रुतदेवता च । चतुष्कमेवं हृदयांगणे स्वेनुक्ता(?)मया सिद्धिकृते प्रपूर्य । आमूलचूलविलसत्सुवृत्तनरनायकम(स?)हस्रं
सम्यक्त्वालंकारं हृदलंकारं सतां कुर्वे ॥ ६ ॥ 62. त्रुटितपत्रसंग्रह. about 200 leaves. 16 x 2. 63. अनुयोगद्वारव्याख्या. 6-187 leaves. 17 x 21. (मु.) 64. भाष्यत्रयवृत्ति (मु.), कल्पचूर्णिवृत्ति, आदि (त्रुटित). 15x2. 65. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिवृत्ति (मु.) (त्रुटित). 17 x 2. 66. व्याकरणपत्र (त्रुटित ).. . 67. शिष्यहिता (विशेषावश्यकव्याख्या?) by हेमचन्द्र (त्रुटित) 14x2. 68. त्रुटितपत्र (No 1695.) जीर्ण. 69. त्रुटितपत्र ( No 1696.) 17 x 2. 70. श्रुटितपत्र ( No 1697.)
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