Book Title: Catalogue of Manuscripts at Jesalmer
Author(s): C D Dalal
Publisher: Central Library
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IN THE BIG BHANDAR AT JESALMERE.
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End:-समत्ता विलासवइ(ई)कहा।
वाणिज्जमूलकू(कु)ले कोडियगणविउलवइरसाहाए। विमलंमि य चंदकुले वंसंमि य कव्वकलाण ॥१॥ संताणे रायसहसि(हासे)हरिसिरिबप्पभ(है)टिसूरिस । जसभद्दसूरिगच्छे महुरादेसे सिरोहाए ॥ २॥ आसि सिरिसंतिसूरी तस्स पए आसि सूरिजसदेवो । सिरिसिद्धसेणसूरी तस्स वि सीसो जडमइओ (ई सो) ॥३॥ साहारणोत्ति नामं सुपसिद्धो अत्थि पुव्वनामेणं । थुइथोत्ता बहुभेया जस्स पढिज्नति देसेसु ॥ ४ ॥ सिरिभिल्लमालकुलगयण चंद]गोवइरिसिहरनिलयस्स । वयणेण साहुलच्छीहरस्स रइया कहा तेण ॥ ५ ॥ समराइचकहाओ उद्धरिया सुइ(द्ध)सन्धिबन्धेण । कोऊहलेण एसा पसण्णवयणा विलासवइ(ई) ॥ ६ ॥ एकारसहिं सएहिं [गएहिं ] तेवीसवरिसअहिएहिं । पोसचउद्दसिसोमे सिद्धा धंधुक्कयपुरमि ॥ ७ ॥ एसा य गणिज्जंती पाये(ए)णाणुट्ठभेण छंदेण । संपुण्णाई जाया छत्तीससयाइ वीसाई॥८॥ जं चरियाओ अहियं किंपि इहं कप्पियं मए रइयं । पडिबोहणकारणेहिं(ण) खमियव्वं मज्झ सुयणेहिं ॥ ९ ॥ जयइ तियसिंदसुंदरिवंदियपयपंकया कयारूढा ।
बुहयणविदिन्नवाणी सरस्सइ सयलसुहखाणी ॥ १० ॥ 168. (1)......विचार. 25-257 leaves.
(2) श्रावकधर्म. (?) 186-224 leaves. 169. त्रुटितपत्रसंग्रह, 170. (1) चैत्यवंदनचूर्णिविवरण [by यशोदेव]. 1-63 leaves. End:-वेयमुणिरुद्दसंखे वरिसे चिइवंदणाए चुन्नीए।
विवरणमेयं रइयं सिरिमज्जसएवसूरीहिं ॥ (2) पञ्चक्खाणविवरण(सरूव?) [by यशोदेव]. 1-84 leaves, End:-आवस्सयपंचासयपणवत्थुय विवरणाणुसारेण ।
- पञ्चक्खाणसरूवं भणियं जसएवसूरीहिं ॥
पचक्खरगणना(णा ?)ए गंथपमाणं सयाणि चत्तारि ।
नयणवसुरुद्दमाणे विक्कमनिववच्छरा ॥ (8) पाक्षिकप्रतिक्रमण(सूत्र?)चूर्णि. 1-26 leaves. 171. दशवैकालिकटीका by हरिभद्र. 171 leaves. (मु.) 172. व्यवहारचूर्णि. 301 leaves. अं. १२०००. 30 x 2.
Col:--संवत् १४९० वर्षे माधवदि ५ शुक्रे.
1C.
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