Book Title: Catalogue of Manuscripts at Jesalmer
Author(s): C D Dalal
Publisher: Central Library
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CATALOGUE OF PALM-LEAF MSS.
तवयणिहिं अणुदिणु विजणियपुलयपन्भारु
अणुसरिउण सुयदेवयह नाममंतु जयसारु ॥ ३ ॥
End :- कुमरवालह निवह रज्जमि अणहिलवाडइ नयरि अनणुसुयणबुहय संगंमि ।
सोत्तर वारसइ कत्तियंमि तेरसिसमागमि असि [T] क्खित सोमदिणि सुप्पवित्तिलग्गंमि । एहु समत्थिउ कहवि परियणसाहजंमि ॥ पञ्चखरगणणाए सिलोगमाणेण इह पबंधंमि । अट्ठेव य सहस्सा बत्तीससिलोगया होंति ॥
इति श्रीचंद्रसूरिक्रम कमलभसल (भ्रमर?) श्रीहरिभद्रसूरिविरचितं नवभवनिबद्धं श्रीनेमिनाथचरित्रं समाप्तं ।
233. ज्योतिष्करंडटीका by मलयगिरि. 233 leaves. 234. अभिधानचिंतामणिटीका. 292 leaves. 13 x 2. ( 1 ) चतुर्थकांड. 1-183 leaves.
( 2 ) पंचम and षष्ठकांड. 1-89 leaves.
235. क्षेत्रसमासवृत्ति by सिद्धसूरि ( उपकेशीय). 211 leaves. 13 × 2,
Incomplete.
Beg :- नत्वा वीरं वक्ष्ये जिनभद्रगणिक्षमाश्रमणपूज्यैः । रचिते क्षेत्रसमासे वृत्तिमहं खपरबोधार्थं ॥ End:-अब्दशतेष्वेकादशशु (सु) द्विनवत्याधिकेषु विक्रमतः । चैत्रस्य शुक्लपक्षे समर्थिता शुक्लत्रयोदश्यां ॥ ग्रं. ३०००. and other loose leaves.
236. (1) कल्पसूत्र. 1- 102 leaves (मु.)
( 2 ) कालिकाचार्यकथा (प्रा.) 103 - 128 leaves. Incomplete. 237. लीलावती [ by भूषणभट्टतनय ]. 143 leaves. 12 × 2. Beg :- नमह सरोससुअरि सणसव्व (च) वियं कररुहावलीजुयलं । हरिणक्कसवियडोरत्थलट्ठिदलगब्भिणं हरिणो ॥ १ ॥
I C.
22 /2 x 22.
(मु.)
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तं मह जस्स तई (ई ) या तइअच (वे ) यं तिहूयणं तुलंतस्स । सायारमणायारे अप्पणमप्पच्चिय निसणं ( ) ॥ २ ॥ तस्से (व ? ) पुणो पणमह निहुयं हलिणा हसिज्जमाणस्स । अपहुत्त देहली लंघणद्ध वह संठियं चलणं ॥ ३ ॥ सो जयउ जस्स पत्तो कंठेरिट्ठासुरस्त घणकसणो । उपायपट्टि (ड्डि ?) यकालवालकरिणी भुयप्फलिहो ॥ ४ ॥ रक्खंतु वो महोव (?) हिसयणे सेसस्स फणिमणिप ईवा । हरिणो सिरिसिहिणोत्थय कोत्थूह कंदकुरायारा ॥ ५ ॥ हरिणो जमलज्जुण रिट्ठके सिकंसस्स सुरिंदसेलाण । भंजणवळण वियारणकट्ठ (ड्ढ ) णधरणे भुए णमह ॥ ६ ॥
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