Book Title: Jain Bhajan Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 17
________________ चाहे कितना ही जोर लगा लेना चाहे कितना ही जोर लगा लेना, फिर भी न चलेगा जोर तेरा चाहे कितना ही उसको मना लेना, फिर भी न सुनेगा कुछ भी तेरा चाहे कितना ही जोर लगा लेना, फिर भी न चलेगा जोर तेरा १ जब उसका बुलावा आएगा, तब न चलेगा बहाना तेरा -2 पल में ही २ सब कुछ छोड़ तुझे ,होना पड़ेगा रवाना रे । चाहे कितना ही जोर लगा लेना, फिर भी न चलेगा जोर तेरा २ हम सब तो कठपुतलियाँ है, डोर हमारी उसके हाथो में -२ जिस दिन वो २ उसको छोड़ देगा, नहीं होगा कभी फिर उठना रे चाहे कितना ही जोर लगा लेना, फिर भी न चलेगा जोर तेरा। ३ सबको बराबर दी हे देखो, उसने यहाँ पर श्वासे रे -२ जिसकी भी २ हो जाएगी श्वासे पूरी, नहीं होगा सवेरा उनका रे चाहे कितना ही जोर लगा लेना, फिर भी न चलेगा जोर तेरा चाहे कितना ही उसको मना लेना, फिर भी न सुनेगा कुछ भी तेरा । 17

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