Book Title: Jain Bhajan Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 38
________________ मेरी नैया पड़ी मझधार में ___ मेरी नैया पड़ी मझधार में, प्रभु तू ही खेवनहार रे। अब तेरे सहारे बिन भगवान, कौन नैया करेगा मेरी पार रे ॥ तुमने सब की लाज बचाई, मेरी भी लाज बचा लेना। में हूँ प्रभुजी दीन दुखारी, चरणों में अपने बुला लेना ॥ फिर डरने की हमे क्या बात रे, मेरी लाज है तिहारे हाथ रे ॥ प्रभु तू ही खेवनहार रे ....॥१॥ हम तुम्हें ढूंढे तुम नहीं पावो, ऐसा कभी नहीं हो सकता। आया शरण में दास तिहारे, तेरे बिना नहीं रह सकता ॥ जरा सुनले तू मेरी पुकार रे, मुझे तेरा ही एक आधार रे ॥ प्रभु तू ही खेवनहार रे ....॥ २ ॥ दीन दयाल दया के सागर, दिनों के रखवारे हो। हमको भी अब तारो स्वामी, सबके तारन हारे हो॥ कहे “हरख” तू ही करतार रे, तेरे हाथ में हमारी पतवार रे ॥ प्रभु तू ही खेवनहार रे ... ॥ ३ ॥ 38

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