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बरसा पारस सुख बरसा आंगन-2 सुख बरसा
बरसा पारस, सुख बरसा,
आंगन-2 सुख बरसा
चुन-2 कांटे नफरत,
प्यार अमन के फूल खिला... बरसा पारस..
द्वेष-भाव को मिटा,
इस सकल संसार से.
तेरा नित सुमिरन करें,
मिल-जुल सारे प्यार से,
मानव से मानव हो ना जुदा... आंगन- 2
झोलियां सभी की तु, रहमों करम से भर भी दे,
पीर-पर्वत हो गई,
अब
कृपा कर भी दे,
मांगे तुझसे ये ही दुआ... आंगन-2
कोई मन से है दुखी, कोई तन से है दुखी, ऐसा करो,
कुल जहान हो सुखी,
सुखमय जीवन सबका सदा... बरसा पारस..
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