Book Title: Jain Bhajan Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 40
________________ यहा झठा है जंजा यहा झूठा है जंजाल, छोड दे मेरे भाई॥ जग मोहमाया का जाल, छोड दे मेरे भाई॥ गर सुखपाना तुझे तो तजाना चाहिये , नाम प्रभु का दिलसे,भजना चाहिये, ना चांदी ना सोना, ना चाहिये दौलत माल,॥छोड दे मेरे भाई।।1 दुष्ट करम ये पीछे तेरे पडे हुये, लुभा रहे है ठोर ठोर पे अडे हुये, चक्कर मे फंसजाये तो,करते हाल बे हाल,॥छोड दे मेरे भाई।।2 भटकेगा नरको मे पाप का भार ले, अब भी संभल कर,सदाचार तु धार ले, “पाश्च्” तिहारा साथी,करले तु कल्याण॥छोड दे मेरे भाई जग मोहमाया का जाल,छोड दे मेरे भाई।।3 40

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