Book Title: Jain Bhajan Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 61
________________ भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना भगवान मेरी नैया उस पार लगा देना। अब तक तो निभाया है. आगे भी निभा देना ॥ दल बल के साथ माया, घेरे जो मुझ को आ कर । तुम देखते ना रहना, झट आ के बचा लेना ॥ संभव है झंझटों में मैं तुझ को भूल जाऊं। पर नाथ दया कर के मुझ को ना भुला देना ॥ तुम देव मैं पुजारी, तुम इष्ट मैं उपासक । यह बात अगर सच है तो सच कर के दिखा देना ॥ तेरी कृपा से हमने हीरा जनम यह पाया। जब प्राण तन से निकले, अपने में मिला लेना ॥ 61

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