Book Title: Jain Bhajan Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 74
________________ ध्यान - ध्यान धरना है धरले (तर्ज - धूम मचाले) ध्यान – ध्यान धरना है धरले, धर्म धर्म करना है करले जैन धर्म है सबसे प्यारा, धर्म ही तो जिंदगी है, धर्म ही तो हर खुशी है भक्ति के भावो में आकार झूम, झूमरे मानव झूमरे मनवा झूम.... धर्म बिना नहीं मुक्ति मिले, सबको यहाँ है पता बेखबर हो तु यू न जीवन बिना, तु भी ले – ले भक्ति का मजा भकित की ये भावना हो, भक्ति की ये चाहता हो भक्ति की भावो में आके झुम, झुम रे मनवा पल – पल यहाँ सभी कर्म खड़े, कर्मो को खुद को बचा करनी एसी कर्म फिर न मी तु जन्म एसी भक्ति के भाव जगा भावो की महिमा को उजारो, भावो की शक्ति को मानो भावो की लहरों में आके झुम, झूमरे मनवा ...... 74

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