Book Title: Jain Bhajan Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 58
________________ तेरा ही नाम है लब पे तुझे ही गुन गुनाता हूं, तेरा ही नाम है लब पे, तुझे ही गुन गुनाता हूं, तुम्हारे प्यार के नग्में, मैं दुनिया को सुनाता हूं... मेरी आंखों से टपके हैं, जो तेरी याद में आंसू, उन्ही अष्को के मोती से-2, तेरी माला बनाता हूं... तेरा ही नाम है लब पे, तुझे ही गुन गुनाता हूं, तुम्हारे प्यार के नग्में, मैं दुनिया को सुनाता हूं... जमाने भर ने बख्षी हैं, मुझे जो दर्द की दौलत, तेरे कदमों की आमद पे, उसे पल पल लुटाता हुं... तेरा ही नाम है लब पे, तुझे ही गुन गुनाता हूं, तुम्हारे प्यार के नग्में, मैं दुनिया को सुनाता हूं... तुम्हारी बाट तकते है, मेरे ये बावरे नैना-2, अजी ये बावरे नैना-2, तेरी राहों में ऐ भगवन, मैं नित पलकें बिछाता हूं... तेरा ही नाम है लब पे, तुझे ही गुन गुनाता हूं, तुम्हारे प्यार के नग्में, मैं दुनिया को सुनाता हूं... नज़र धुन्धला रही है अब, धड़कना भी है कम दिल का, तुम्हारे नाम की घंमा, मैं बुझ-2 के जलाता हूं... तेरा ही नाम है लब पे, तुझे ही गुन गुनाता हूं, तुम्हारे प्यार के नग्में, मैं दुनिया को सुनाता हूं... 58

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