Book Title: Jain Bhajan Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown
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जिया
तुम
जिया तुम अपनेको पहिचानो | उपयोगी जीवस्य लक्षणम, आगम माँहि बखानौ ।
दर्शन ज्ञान सहित सो चेतन, अपनेको पहचानो॥1
बाकी सब जड जानौ || जिया
तुम रागादिक बंधनके वश हो, तुमनिजरुप भुलानौ ।
मोह महामद पीकर चेतन
अपने को पहिचानो
,तुम परको निज मानौ ॥ | जिया
ही
भ
काम क्रोध मोहादि लोभ,
सब ये विभाव है जानो । सदानंद चैतन्य ज्ञानम,
है मानो । जिया तुम अपनेको पहिचानो॥3 जड़ और चेतन भिन्न सदासे,
ऐसे जानो । किर्ती निकल जावे जब चेतन,
जडको पडे जलानो |जिया तुभअपनेको पहिचान || 4 जय जिनेन्द्र
अपनेको पहचानो || 2
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