Book Title: Jain Bhajan Sangraha
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 76
________________ पारस प्यारा है (तर्ज- राधिका गोरी से) पारस प्यारा है. जीवन आधारा है, नैया लगा दे प्रभु पार अरे ओ सुन लो मेरी पुकार तारणहाराह है, दीन दयाला है बाबा लगा दे भव पार अरे ओ सुन लो मेरी पुकार पारस प्यारा है .... सुन्दर मन हर नारी, देखो ये करुणा धारी सन्मार्ग की देनारी, है निर्मल मन करनारी मंदिर में आ जाओ- 2 मूरत सुहानी है पारस प्यारा है .... ज्ञान दीपक धरनारी, दुःख दोहम विपदा हारी त्रिभुवन में महिमा भारी, गुण गाते सुर नर नारी भक्ति से ... पा जाओ – पा जाओ, शक्ति निराली है पारस प्यारा है ..... 76

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